SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 458
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोई कठिनाई न रही कि यहो नयी बनी मूर्ति है। शान्तलदेवी ने बिट्टियण्णा की ओर मुड़कर देखा और कहा, "छोटे दण्डनायक इसका परिशीलन करके बताएँ।" "सो क्यों ? सन्निधान ही स्वयं परीक्षण कर बता सकती हैं।" बिट्टियण्णा ने कहा। "युवक इस योग्य है या नहीं, इसे देख लेने की बात तो तुम्हीं ने कही थी "मैंने अपने लिए तो नहीं कहा। राजमहल का कार्य ढंग से चले इसी दृष्टि से मैंने कहा था।" "तो अभी क्या हुआ? बैसी ही दो ट्रक राय अब भी दे दो न?" विट्टियण्णा ने देखा। परीक्षण किया। कहा, "शायद स्थपतिजी ने इसे पहले ही तैयार किया हो, ऐसा लगता है।" "विचित्र राय है! स्थपतिजी स्वयं तैयार की गयी मूर्ति को क्यों देये?" उदयादित्य ने प्रश्न किया। "यह बात ठीक है। लेकिन हम ही देख * ? म ला अन्तर तो देखिए। इतने सीमित समय में ऐसी मूर्ति का निर्माण सम्भव ही नहीं।" बिट्टियण्णा ने अपनी राय दी। "इतने थोड़े समय में इसे बनाना कैसे सम्भव हो सका, यो पूछना चाहिए था। इसे छोड़..." बिट्टियण्णा ने बात को बीच में ही रोका और कहा, "इसे अकीरित करनेवाले हाथ का कौशल स्थपतिजी के ही हाथ की कुशलता का-सा लगता है, इसलिए मैंने उनका नाम लिया।" ___ "राय बताने का यह नया ढंग तुमसे आज सीखा 1 तात्पर्य यह हुआ कि यह फलक आपको सुन्दर लगा। ऐसा समझ सकते हैं कि इस विषय में युवक प्रौड़मति है, यह स्वीकार किया है।'' उदयादित्य ने व्याख्या की। "प्रौहमति ही नहीं, विशेष दक्ष भी है। पट्टमहादेवीजी मौन क्यों है? सन्निधान की राय?" कहते हुए बिट्टियण्णा ने शान्सलदेवी की ओर देखा। "कलादेवी किस-किस पर प्रसन्न होती हैं, यह एक रहस्यमय समस्या है। विरुदावली, कीर्ति, मान्यता आदि की भी परवाह न करनेवाले श्रेष्ठ कलाकार शिल्पी पता नहीं कहाँ-कहाँ छिपे पड़े हैं। इस अल्पायु में भी कितनी प्रतिभा है, यह देख चकित हो रही हूँ। संकल्प, क्रिया और लक्ष्य, इनका निश्चित मेल इस कृति में लक्षित होता है। स्थपतिजी! आपकी क्या राय है?" शान्सलदेवी ने थोड़ी दूर पर खड़े स्थपति की ओर देखकर पूछा। ___ "शास्त्र में परिप्पत विमर्शक और कृसिकर्ता में भिन्न मत हो सकता है। 46 :: पट्टमतादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy