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________________ "हाँ! मतलब यह कि भाव-प्रदर्शन तो कृतक है। उसमें वास्तविकता का भ्रम उत्पन्न हो जाता है। उसी को हम कला कहते हैं।" ''यह सब सुनने पर बड़ा विचित्र-सा लगता है!" "जिन्होंने कला-साधना की है, उनके लिए यह सहज हो जाता है। जो कला का साधक नहीं, उनके लिए यह विचित्र लगता है।" "तब तो आपको यह 'प्रतिमा-भंगी' किसने दी हैं?" "हमारी पट्टमहादेवी ने।" रानी लक्ष्मीदेवी अवाक हो गयी, कुछ कह न सकी। वह स्थपति की ओर चकित-सी देखती रह गयी। "क्यों, यह बात अविश्वसनीय लगती है ?" "यह बात मेरे लिए समझ के बाहर की-सी लगती है। यह सम्भव है कि पट्टमहादेवी ऐसा करें? वे ऐसा कर सकेंगी?" __ "सकेंगी. सम्भव है, दोनों बातें सत्य हैं। हमारी पट्टमहादेवी खरा सोना हैं, अमूल्य हीरा हैं। वे साक्षात् कलामूर्ति हैं। उनकी अटल निष्ठा, सत्य-पूर्ण साहस उन्हें लोक-कल्याण के कामों में भाग लेने की प्रेरणा देते हैं। मेरी बातों पर अविश्वास हो तो आप उन्हीं से जान सकती हैं।" "उन्होंने प्रतिमा-भंगियाँ कब दी?" "आपके वेलापुरी पधारने के बाद।" "ओह ! उसी प्रसंग में सम्भवतः पट्टमहादेवीजी का दर्शन दूसरों के लिए दुर्लभ हो गया था।" "हौं, यह कार्य बहुत आवश्यक था। और वह शीघ्र समाप्त भी होना था।" "पहले ही यह कार्य क्यों नहीं किया? अन्त समय तक प्रतीक्षा क्यों की?" "मैं एक साधारण मनुष्य हूँ, राजमहल का एक सेवक । पट्टमहादेवीजी से क्या पूछे, क्या न पूछे, इसे जानता हूँ। संसार की रीति-नीतियाँ, कला के आराधक की निर्विकल्प कलाराधना की रीति-इन दोनों में भिन्नता है। दृष्टिकोण की भिन्नता ही इन दोनों के इस अन्तर का कारण है। इसलिए ही यह सोचकर कि यह विषय बहुत संवेदनशील है, मैंने ही बहुन समय विचार-मन्थन में व्यतीत किया।" "अन्त समय में पूछने पर स्वीकार कर लेंगी, यह सोचकर ऐसा किया?" "यह भावना ही मेरे मन में नहीं आयी। मेरा संकोच ही विलम्ब का कारण बना। पट्टमहादेवी ने अन्त समय में ही स्वीकृति दी, सो भी काम शीघ्र हो जाना चाहिए था, इसलिए। उन्होंने भी बात को अच्छी तरह सोच-समझकर, महासन्निधान से विचार-विनिमय कर, उनकी स्वीकृति लेकर, तब अपनी स्वीकृति दी। इसके बाद ही उन्होंने प्रतिमाभंगी दी।" पट्टमहादेषी शान्तला : भाग तोन :: 439
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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