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________________ मैं किसी से कहे बिना गाँव छोड़कर चल पड़ा। पिताजी से मिलने के उद्देश्य से मैं दक्षिण की ओर चल पड़ा, जहाँ वे काम करते थे। मेरा पूर्व पुण्य था कि मुझे उनका अन्तिम दर्शन मिल गया। बात करने की सामर्थ्य नहीं थी। उन्होंने मुझे पहचान लिया, चेहरे पर सन्तोष छाया रहा। मगर गले से आवाज नहीं निकली। होठ हिले, शायद कुछ कहना चाहते थे। छाती पर के हाथ से संकेत किया, 'बेटा।' और उन्होंने अन्तिम साँस ले ली। मैं कुछ उत्तर देने की स्थिति में नहीं रहा। उनकी अन्त्येष्टि की; तब से मैं मुमक्कड़ बन गया। यह कहने में लज्जा आती थी इसलिए अपने को यात्री कहकर घूमते हुए समय बिता रहा हूँ।" इतना सब कहकर अपनी राम-कहानी समाप्त करके एक दीर्ध नि:श्वास छोड़ा। उसकी एक-एक बात को ध्यानपूर्वक सुनती हुई शान्तलदेवी बात समाप्त होते ही बोल उठी-"न, न. ऐसा नहीं होना चाहिए था।" "होना था या नहीं होना था-सो तो अलग बात है; अब हो चुका है ना, अब क्या हो सकता है?" "यह आपका विचार है।" "तो सन्निधान के विचार..." "कुछ दूसरे ही। कथा का एक अध्याय समाप्त हुआ। वह दूसरे अध्याय के लिए श्रीगणेश है। मनुष्य की कहानी उसके जन्म से प्रारम्भ होती है और उसके अवसान के साथ समाप्त होती है। फिर भी यह सब क्यों और कैसे-यह समझ में . ही नहीं आता।" "इसमें समझ न आने जैसी कौन-सी बात है? सब दिन की तरह स्पष्ट है।" "तो आपके मन की शंका पर उस शिशु की जन्मपत्री ने राजमुद्रा-सी लगा दी।" "शंका को निश्चित भी किया।" "तो आप अपने सब कार्य ज्योतिष के ही आधार पर किया करते हैं?" "क्यों, उसमें क्या दोष है। शास्त्र जब निश्चित है।" "शास्त्र निश्चित है परन्तु उसका विश्लेषण करनेवाला मन और उस विश्लेषण की जानकारी, ज्ञान, बुद्धिशक्ति आदि कुछ अस्त-व्यस्त हो तो क्या दशा होगी?" "तो सन्निधान समझती हैं मेरा ज्योतिष ज्ञान कम है।" "मैं यह नहीं कहती कि जानकारी कम है। फिर भी जन्मपत्री पर परिशीलन समग्र रूप से नहीं हुआ. ऐसा लगता है।" "दोनों एक ही बात हैं: परिशीलन समग्र रूप से नहीं हुआ है का यही माने है कि हड़बड़ी में निर्णय किया गया है। बड़े-बूढ़े कहते हैं कि ज्योतिषी को शीघ्रता में निर्णय नहीं करना चाहिए। यह बात मुझे पता है। इसलिए पूरी 376 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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