SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर एक व्यंग्यात्मक है । पी। होरे उ. देख लिया। पूछा ' ?' सा प्रश्न भी, पिता तो पूजनीय है न?' मैंने कहा। 'फिर भी उनसे जो हमें कष्ट हो रहा है उसे सहना बहुत कठिन है?' उसने उत्तर दिया। मैंने कहा, 'ओह ! ऐसा है? आपको कष्ट से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी।' यह सहर्ष चला गया। मैंने सत्य नहीं कहा था।" "झूठ बोले?" "झूठ भी नहीं कहा।" "सच भी नहीं, झूठ भी नहीं, यह क्या बात हुई ?" "उसके मन का प्रश्न ही कुछ और था। सन्निधान उसे जानते हैं न? मुझे उस कुण्डली को देखने पर जो सत्य सूझा वह कुछ और था। अपनी मृत्यु कब होगीइसे न जाननेवाला वह व्यक्ति, मृत्यु निकट होने पर भी अपने पिता की मृत्यु के बारे में जानने आया था। मरनेवाले तुम, तुम्हारे पिता नहीं यह बात मैंने उससे नहीं कही। उसकी भावना थी कि पिता कष्ट देनेवाला है। उसे कष्ट से छुटकारा मिलेगा। उस कष्ट को सहने के लिए, वह स्वयं जीवित रहनेवाला नहीं था न?" "सच है। ज्योतिष का पूर्ण ज्ञान हो सो उसका प्रभाव ही कुछ और होता है।" "सन्निधान को भी इस शास्त्र का अच्छा ज्ञान होगा?" "है। थोड़ा-बहुत मुझे फलित ज्योतिष के विषय में विशेष अभिरुचि नहीं थी। हमारे इस छोटे दण्डनायक की जन्मपत्री के विषय में मैंने कुछ विशेष रुचि दिखायी अवश्य।" "एक बार मैं उसे देख सकता हूँ?" "अवश्य देखिए। परन्तु उससे कुछ न कहिए।" "कुछ कहने के लिए नहीं। अनुभव सिद्धान्त ही ज्योतिषशास्त्र के सूत्रों का आधार है न? माता-पिता को एक साथ खोनेवाले इस जातक की ग्रहगति कैसी होगी-यही जानने का कुतूहल है-इसी से पूछा।" "शिल्पीजी! मुझे जो माँ-बाप मिले हैं वैसे मुझ जैसे के लिए ही प्राप्त होते हैं।" बिट्टियपणा ने कहा। "सो भी एक योग विशेष है। वह भी आपकी जन्मपत्री में दिख सकता "अब जो काम होना है उस पर ध्यान दीजिए। जन्मपत्री, कुण्डली, ग्रहगति, गोचर-आदि के पचड़े में पड़कर समय व्यर्थ क्यों गँवा रहे हैं।" बिट्टियण्ण्या ने कहा। "जब काम पूरा हो जाएगा तब देखेंगे। ठीक ?" "इस समय एक नयी भाव-भंगिमा के चित्र की कल्पना करें जिसे आप इस पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन :: 303
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy