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________________ " तब तो इस दीप को अन्दर के कमरे में रखकर द्वार बन्द कर देंगे।" 1. 'जैसा चाहो । " इधर पोसलों की सेना युद्ध के लिए तत्पर हो गयी। सेना की एक टुकड़ी तलकाडु के दक्षिण में घुमावदार रास्ते से चल पड़ी। योजना के अनुसार राजधानी से जो गुप्तचरों का गिरोह निकला और इधर रात के समय लुके-छिपे जो गुप्तचर तलकाडु में घुस पड़े थे उन सभी ने विचित्र अफवाहें फैला दी थीं। उसमें एक सूचना यह थी कि जो कुशीतुंग की सेना उलका की मदद के लिए आ रही थी, उसे बीच रास्ते में ही रोककर पोय्सल सेना ने उसका ध्वंस कर दिया है। इसके साथ दामोदर पोय्सलों का बन्दी हो गया और आदियम छिपकर भाग गया है - यह अफवाह आग की तरह फैल गयी। अब दो-तीन दिनों में दोनों ओर से पोम्सल तलकाडु को घेरकर एक-एक की जान ले डालेंगे। ध्वंस कर देंगे। तलकाडु में जो थोड़ी सेना है, वह घण्टे दो घण्टे में समाप्त हो जाएगी - यह बात भी फैल गयी। सारा नगर इन समाचारों से त्रस्त हो गया। ये सारे समाचार . आदियम के भी कानों में पड़े। परन्तु उसे हैरानी इस बात की थी कि दामोदर लापता हो गया था। उसे तो इसके खण्डन के लिए आना चाहिए था, मगर नहीं आया था। क्या वास्तव में दामोदर शत्रुओं का बन्दी बन गया है ? ऐसा है तो कैसे काम चलेगा ? अगर बन्दी हुआ तो कैसे और कहाँ ? यह सब बड़ा विचित्र - सा लगता है न ? - यह सब सोचने लगा। नरसिंह वर्मा को बुलवाकर आगे के कार्यक्रम के बारे में विचार-विनिमय भी किया। उस समय की परिस्थिति में वहाँ जितनी सेना मौजूद थी उसे ही सामना करने के लिए तैयार कर रखने का निर्णय हुआ । निर्णय के अनुसार सेना की दो टुकड़ियाँ बनाकर तलकाडु के दक्षिण की तरफ तीन-चार मील दूर भेजकर वहाँ पोय्सल सेना का सामना करने तथा शेष सेना को उत्तर की ओर व्यूह बनाकर उधर से आनेवाली पोय्सल सेना का सामना करने के लिए तैयार रखने की योजना बनायी गयी। इसके अनुसार नरसिंह वर्मा सेना के साथ दक्षिण की ओर चल पड़ा। आदियम वहीं ठहरा रहा। प्रातः काल युद्ध प्रारम्भ होने की प्रतीक्षा तो थी, मगर युद्ध नहीं हुआ। परन्तु मध्याह्न के पश्चात् भयंकर युद्ध तलकाडु के पास कावेरी के तौर पर छिड़ गया । आदियम के सैनिकों ने भी कसकर सामना किया। परन्तु भारी संख्या में लोग हताहत हुए और भारी कष्ट भी पोय्सलों की सेना से भुगतना पड़ा। सूर्यास्त के साथ उस पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन : 293
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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