SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रूपित किया। इस तरह सबको किसी न-किसी कार्य में लगे रहना था। काम का बँटवारा हो जाने के बाद, कितनी सामग्री अब तक आयी है, कितनी और चाहिए, काम करते समय कितनी सामग्री व्यर्थ होगी, आदि सभी बातों का आकलन कर आवश्यक सामग्री मंगवाने की व्यवस्था की गयी। अन्य शिल्पियों की भाँति अपने लिए भी कार्य नियत कर लिया। उसके अनुसार काम होने लगा। नयी व्यवस्था के अनुसार कार्य सूर्यास्त से अर्धप्रहर पूर्व ही बन्द हो जाता। बाद में बिट्टियण्णा और पट्टमहादेवीजी के साथ उस दिन के प्रत्येक कार्य की समीक्षा चलती। कुछ सुधार-सुझाव संशोधन होते तो सम्बन्धित शिल्पियों को दूसरे दिन कार्य आरम्भ करने से पहले बता दिये जाते। यों एक निश्चित क्रम के अनुसार बेलापुरी में मन्दिर का काम चलने लगा। उधर पोय्सलों की सेना ने तलकार्ड की ओर चलकर एक सुरक्षित स्थान पर डेरा डाला। रानी बम्मलदेवी को उदयादित्य लिवा लाये थे । सम्पूर्ण सेना के महादण्डनायक प्रधान गंगराज थे। उनकी सहायता के लिए शेष दण्डनायक, चमूप आदि थे। चट्टलदेवी और हेग्गड़े मायण भी थे। युक शिविर में आगे के कार्यक्रम पर विचारविनिमय हुआ। शत्रओं के कार्य-कलाप को जानने के लिए मायण-चद्रलदेवी और उनकी सहायता तथा रक्षा के लिए कुशाग्र गुप्तचरों को भी भेजने का निर्णय हुआ। अश्व-सेना युद्ध-शिविर के चारों ओर घूमती पहरा देने का काम कर रही थी। समाचार संग्रह करने के लिए पायण-चट्टलदेवी जो गये, उन्होंने पंच लिंग दर्शन के यात्रियों के भेष में नगर में प्रवेश किया। दूसरों ने भी वेषान्तर से नगरप्रवेश किया। उनकी रक्षा के लिए जो गुप्तचर गये थे उनमें दो तमिल जानते थे। इस भाषा के ज्ञान ने उनकी अपनी रश्ता में बड़ी सहायता की। मायण और चट्टला ने पनोन्मणी देवी को कुमकुमार्चन और वैद्येश्वर महादेव को सहस्रविल्वार्चन करवाने के अपने मन्तव्य को पुजारोजी से कहा। आदियम और दामोदर के मन्दिर में आने के समय को पहले से जानकर वे दोनों उस समय तक मन्दिर पहुँच गये थे। दामोदर को शंका हुई। क्योंकि वे स्थानीय नहीं, कहीं अन्यत्र से आये हुएसे लगे। उसने आदियम के कानों में कुछ कहा तमिल भाषा में। उसके पीछे भक्ताग्रेसर की तरह हाथ जोड़कर खड़े पोयसलों के गुप्तचर ने कुछ संकेत दिया, चट्टला ने उसे समझ लिया। मायण से कहा। उन दोनों के नाम से अर्चना हुई। आदियम की ओर का कोई आदमो पुजारी के पास आया और उसने पुजारी के कान में कुछ कहा। प्रसाद वितरण के समय पुजारी ने पूछा, “आप लोग कहाँ 262 :: पमहादेवी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy