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________________ राजा फिर दरवाजे की ओर हड़बड़ाकर भागे। इतने में भाग्य से नौकरानी पेय भरा स्वर्षपात्र ले आयो। वहीं रखे छोटे-कटोरे में पेय उड़ेलकर दिया। शान्तलदेवी धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा राजकुमारी को पिलाने लगी। दासी दासव्ये पात्र लिये खड़ी रही। सान्तलदेवी ने कहा "नापन्ने, उस पात्र को वहीं काष्ठपीठ पर रख दो और शयन-कक्ष में जाकर जक्की की क्या हालत है देखकर आओ।" राजकुमारी के गले से पेय का उतरना भी मुश्किल हो रहा था। बूंद-बूंद करके शान्तलदेवी पिलाये जा रही थी। कुल दो-तीन छूट पिया होगा। इतने में माँ का हाथ राजकुमारी ने पीछे सरका दिया। "अब बिस्तर पर लेट जाओ, बेटी।" कहकर पलंग पर लिटाकर, उसके मुख पर की पसीने की बूंदों को धीरे-से पोंछने लगी। "पसीना छूट रहा है। भगवान् की कृपा से अच्छी हो जाने की आशा है।" बिट्टिदेव बोले और कुछ सन्तोष की साँस ली। "वह घबराहट के कारण निकला पसीना है। अब भी शरीर आग की तरह तप रहा है।' शान्तलदेवी बोली। बिट्टिदेव ने झुककर राजकुमारी के माथे पर हाथ रखा। बुखार की गरमी का अहसास हुआ। उन्होंने हाथ को पीछे हटा लिया। फिर चिन्ताकुल हो बैठे। राजकुमारी ने करवट बदली। शान्तलदेवी की छाती पर हाथ रखकर उगाल निगलती हुई बोली, "माँ....मुझे वेलापुरी ले चलो। ...दोरसमुद्र ले चलो...।" "अच्छा बेटी, तुम जस अच्छी हो जाओ, ले चलेंगे। सन्निधान सोच रहे हैं कि आगे वहीं क्यों न रहा जाए। तुम हमारी बात मानकर वैद्य की दी हुई दवा को बिना गड़बड़ के पी लो तो अच्छी हो जाओगी जल्दी ही। तुम जैसे ही अच्छी हो जाओ, तुरन्त चल देंगे। सन्निधान भी यहीं हैं, चाहो तो उन्हीं से पूछ लो।" राजकुमारी के हाथ को धीरे-से अपने हाथ में लेकर शान्तलदेवी ने कहा। राजकुमारो ने दूसरी ओर देखा, ''बड़े अप्पाजी..." "वही करेंगे, अम्माजी। जरूर जाएंगे। ज्यादा मत बोलो, थक जाओगी। चुपचाप लेटी रहो तो बीमारी डरकर भाग जाएगी।" कहकर बिट्टिदेव उसकी पीठ पर हाथ रखकर धीरे-धीरे सहलाने लगे। राजकुमारी बीमारी को डराकर मानो भगाने की कोशिश कर रही हो-मौन हो लेट रहो। राजदम्पती को भी बातचीत करने के लिए कोई विषय न सूझा । चुपचाप बैठे रहे। बाहर से मौन रहने पर भी उनका अन्तरंग मौन नहीं था। भगवान से प्रार्थना कर 172 :: पट्टमहादेखी शान्तला : भाग तीन
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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