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________________ इसमे "हाँ." फड़कर कुमार को हो गयी। कुमार को कुछ विचित्र - सा लगा। फिर भी राज परिवार में जो रीति चली आयी थी उसका उल्लंघन तो नहीं किया जा सकता था। राजकुमार कुछ कहे बिना चुपचाप पट्टमहादेवी के आदेश के अनुसार चन्नव्वे के साथ चला गया। इधर " अर्हन्! ये बच्चे तुम्हारे हैं। प्रभो ! उनके संरक्षण का भार तुम पर है। हम मानव जो भी करते हैं वह केवल निमित्त मात्र है। यह कुमार बल्लाल इस वंश का प्रथम अंकुर है। यह दीर्घायु प्रजावत्सल सर्वमतसहिष्णु और भ्रातृवत्सल बनकर राज्य कर सके, यही विनती श्रीचरणों में है।" इतना मन-हीमन कह आँखें मूंद हाथ जोड़कर एक-दो क्षण मौन बैठी रहीं शान्तलदेवी । फिर आँखें खोल उन्होंने बिट्टिदेव का हाथ, जिस हाथ में राजकुमारी का हाथ था, अपने हाथ में लिया और कहा, "अर्हन्! राजकुमारी अब तुम्हारी है। मैं और सन्निधान दोनों एक साथ निवेदन कर रहे हैं। उसको बचाना न बचाना तुम्हारे ही हाथ है।" ब्रिट्टिदेव ने अपना दूसरा हाथ शान्तलदेवी के हाथ पर रखकर कहा, "हाँ, हाँ, भगवन्! देवी की प्रार्थना ही मेरी प्रार्थना है। राजकुमारी, तुम्हारे सुपुर्द है। जो भगवान् उसे बचाएँगे, हम उसी के आराधक हो जाएँगे।" यह बात बिट्टिदेव से जल्दी में आतंकित स्वर में निकल गयी। उनके हाथ में वह घण्टी बजाने का डण्डा अब भी था। शान्तलदेवी ने उसे देखा। फिर महाराज को देखा। उनके चेहरे पर एक लघुहास्य की लहर दौड़ गयी। यह हास्य महाराज की आँखों से छिपा नहीं रहा । तुरन्त उन्होंने पूछा, "देवी, तुम्हारी इस मुस्कुराहट के माने ?" शान्तलदेवी ने तुरन्त उत्तर नहीं दिया। महाराज के हाथ को ही देखती रहीं जिसमें डण्डा था । तब उन्हें अपने हाथ के उस इण्डे का भान हुआ। वह भी हँस पड़े। बोले, "तलवार पकड़नेवाले हाथ में यह घण्टी बजानेवाला डण्डा! यही न ? अब समझ में आया।" शान्तला ने कहा, "वह भी एक कारण है । " " इसका अर्थ हुआ कि इसके अलावा भी कुछ और है।' " आपकी बात।" 14 'क्या मैंने कोई ऐसी गलत बात कही ?" " कह नहीं सकती कि बात गलत है। पर इसे विवेकपूर्ण बात नहीं मान सकती । " "मेरी समझ में नहीं आया; जरा तुम ही स्पष्ट बता दो न ?" पट्टमहादेवी शान्तला भाग तीन 109
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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