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________________ पड़ेगी। तब कहाँ कितने दिन रहना होगा इस बात का भी निर्णय कर लेंगे।""वह सब निर्णय जो भी हो, सन्निधान को पहले यहाँ मुक़ाम करने पर सलाह देनी होगी।" शान्तलदेवी ने कहा । " यादवपुरी पर देवी की इतनी ममता क्यों ? " "हाँ प्रभु, मायका छोड़ने के बाद मेरा जीवन इसी स्थान पर विकसित हुआ, सन्निधान के सान्निध्य में और सहवास में रहकर महत्त्वाकांक्षा आसमान तक पहुंची यहीं पर इसी यादवपुरी से लगी पर्वत श्रेणी के शिखरों पर मन में किसी भी तरह का ऊहापोह न रखकर, जीवन में किसी तरह के दायित्व के बोझ के बिना, आड़े-तिर विचारों से दूर, सुखी जीवन व्यतीत करने का स्थान मेरे लिए यहीं रहा है। इसलिए..." 1 "क्यों रुक गयीं देवी ?" "इसे पूरा करनेवाले तो आप ही हैं न?" "वही हो, तुम्हारी इच्छा के अनुसार ही हो!" बिट्टिदेव ने कहा । आठ-दस साल पूर्व के नये जीवन की वे स्मृतियाँ साकार होने लगीं बिट्टिदेव को। उस दिन की वह सन्ध्या, पहाड़ के बीच स्थित नरसिंह भगवान का दर्शन, शत्रु के पेट को चीरनेवाली शक्ति प्रदान करने की वह प्रार्थना, सन्ध्या राग में पहाड़ चढ़ना और वहाँ का वह प्रशान्त वातावरण - ऐसे प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य स्थित मण्डप में अपने को भूलकर सुखानुभव करने के दिन का स्मरण कर, उस मण्डप में बैठकर उस पहाड़ पर की पुरानी घटनाओं की याद करते हुए सन्तुष्ट होकर चे मुक्काम पर लौटे। दूसरे दिन वहाँ से यात्रा आगे बढ़ी। आगे यह टोली उस जगह पहुँची जहाँ सबने सोमेश्वर का दर्शन कर वहाँ घटी उस दिन की घटना की याद की। वह वही जगह थी जहाँ चहला ने अप्पाजी और सन्निधान की प्राणरक्षा की थी। उस पूर्ण घटना का वर्णन बम्मलदेवी को सुनाते हुए वे आगे बढ़े। तब उतने साहस के साथ काम करनेवाली चट्टला आज इन सब बातों को सुन लजा रही थी। फिर भी राष्ट्र के महासन्निधान के मुँह से इन प्रशंसा भरी बातों को सुनकर वह अपने को कृतार्थ मानती रही। रास्ते में अधिक समय नष्ट न करके, शीघ्र ही यह टोली अपनी प्रधान सेना के साथ सम्मिलित हो गयी। आगे के युद्धारम्भ के विषय में सन्निधान के शिविर में ही, उसी रात विचार-विमर्श करने के लिए सभा बैठी। चर्चा के बाद यो निर्णय हुआ "सेना को लीन पट्टमहादेवी शान्तला भाग दो : 447
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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