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________________ "क्या ?" "यह सब धूमधाम क्यों? जब महाराज युद्धक्षेत्र में हैं..." "यह सब मेरी इच्छा हैं। पूछनेवाली यह कौन होती हैं?" "हम तो ठहरे नौकर, रानियों से ऐसा हप पूछ सकते हैं? अगर बता दें तो कहेंगी कि हम ही ने झगड़े का बीज बोया। न कहें लो अन्नदाता के प्रति द्रोह होगा। अन्दर ही अन्दर घुलती रही कि कहें तो क्या करूँ" ___ "तुम्हारे लिए मेरा हित मुख्य है; बाकी से तुम्हें क्या मतलब?" "ऐसा नहीं, हम बेचारी दासी ठहरी। कल आप बड़े लोग एक हो जाएं तो हमारा जीवन काँटों में पड़ जाएगा।" "ऐसा वक्त नहीं आएगा। मनुष्य जब अहंकारी बनता है तो टेढ़ा रास्ता एकड़ता है। मोटी रानी कापी ग्रही शान है।" ___"हो सकता है, पर वे तो सगी छोटी बहिन हैं आपकी। दीदी के साथ कैसा बरतना चाहिए, इतनी समझ तो होनी ही चाहिए।" "मैं इस सबका कारण समझाती हूँ। वही, जो गर्भ उसके पेट में है वहीं मेरा ___गर्भ क्या करेगा? कुछ लोगों को देरी से हमल टिकता है। क्या करें : अवकी बार भगवान आप पर भी कृपा करेंगे। इसलिए ऐसी चिन्ता नहीं करनी चाहिए।" "अगर भगवान ने अब दिया भी तो किस प्रयोजन का? कल उसकी कोख से लड़का पैदा हुआ तो वही सजगद्दी का अधिकारी होगा। बाद में मेरे लिए लड़के 'का होना न होना दोनों बराबर है।" "सो कैसे? पट्टरानी का बेटा ही तो गद्दी का अधिकारी होगा? ऐसा मनमाना करेंगे तो कल लोग विद्रोह कर बैठेंगे। राजपरिवार को न्याय और धर्म के विरुद्ध चलना कैसे सम्भव हो सकता है? इस सबसे आपको डरना नहीं चाहिए।' 'यों दिलासा दे सकने वाले तो अब यहाँ नहीं हैं। कम-से-कम तुम तो हो। अच्छा, तुमने किसी नौकर के बारे में कहा न, उसे जितनी जल्दी हो सके मेरे पास ले आओ।" पलदेवी ने कहा। समय की प्रतीक्षा करती रही यह दासी दामचा । मौका पाकर वह बाचमा को समझा-युझाकर पधलदेवी के पास ले गयी। पाला ने उसे जो कुछ कहना था सो सब बता दिया। उसने कहा, "मैं चरण सेवक हूँ। जितना मैं जानता-समझता हूँ, सो करूँगा।" यो आश्वासन देकर वह चला गया। बाचमा के चले जाने के बाद पालदेवी ने दामध्ये को पास बुलाकर कहा, "पता नहीं क्यों मुझे उसकी नजर ठीक नहीं अँची। उसे तुम अच्छी तरह जानती हो न?" पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :: 315
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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