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________________ इनकी चह टोली रास्ते में किक्करी में मुकाम कर, पूर्व निर्णय के अनुसार बेलगोल पहुंची और भगवान बाहुबली के दर्शन कर विजय की कामना करते हुए उनसे प्रार्थना की, और जिनस्तात्र का सस्वर पाल किया। पहले जब वह (शान्तलदेवी) ग्रहाँ दो बार आयी थीं तब-तब उनके मन में जो भाव उटे थे उन्हें तथा और किस-किसने क्या-क्या सोचा था आदि सभी बातों का स्मरण कर, सब एचियक्का को सुनाया। उन्हें बार-बार रेविमय्या की याद आती रही। फिर कबि वाकिमया और शिल्पी नाट्याचार्य गंगाचारी आदि का दर्शन कर, उन्हें राजमहल की भेंट आदि समर्पित कर वहाँ से दोरसमुद्र जा पहुँची। मरियाने दण्डनायक सिंदगैरे गये थे, इस वजह से दण्डनाविका एचियक्का ने राजमहल में ही मुकाम किया। शान्तलदेवी ने अपने पिता के यहाँ बिडिगा के साथ मुक्काम किया। उधर महाराज के पत्र के अनुसार, मल्लिपट्टन में दोनों भाइयों की भेंट हुई। विचार-विमर्श के बाद एक निश्चित कार्यक्रम बना। हमलावर शत्रु को ग़लतफ़हमी में डालने के लिए उँगाल्वों के राज्य के सीमा प्रान्त में हेग्गड़े अरिंगौंड और राजौड द्वारा निर्मित सोमेश्वर महादेव की प्रतिष्ठा के उत्सव के सन्दर्भ में, सावंजानेक जानकारी के लिए सर्वत्र यह प्रचार किया गया : 'मन्दिर की प्रतिष्ठा के शभ अवसर पर पोय्सल राज्य के महाराज बल्लाल देव एवं बिट्टिदेव दोनों पधारंगे। श्रद्धालु पौरजन तथा सार्वजनिकों को यह जानकारी दी जाती हैं कि इस अवसर पर सब लोग पधारें और अपने महाराज के दर्शन कर आत्मलाभ लें। हमारे महाराज बल्लालदेव असं और विट्टिदंब अर्स के विवाह-महोत्सव पर इस प्रदेश के लोगों को सम्मिलित होने का मौका नहीं मिला था- यह बात ग़जपरिवार को अच्छी तरह ज्ञात है। इसलिए इस शुभ अवसर पर बृहत्-सभा का भी आयोजन किया गया है। आनेवाले सभी जनों के लिए टहरने के साथ-साध जलपान भोजन की भी व्यवस्था है। ____घोड़े, बैलगाड़ी आदि वाहनों पर आनेवालों की सुविधा के लिए अश्वशालाओं आदि की व्यवस्था के साथ उनके लिए दाना-पानी, चाग आदि की व्यवस्था भी की गयी है। वैद्य और पश-चिकित्सकों की सेवाएँ भी उपलब्ध रहेंगी।'' इस तरह की घोषणा गाँव-गाँव कर दी गयी। घोषण्या के अनुसार, हत-सभा के लिए मन्दिर के सामने विशाल सभागार तैयार किया गया। मन्दिर के चारों ओर एक कोस दूर तक जगह-जगह तम्बू लगाये गये। बीच-बीच में रसोई, पानीयशालाएँ भी तैयार की गयीं। जानवरों के लिए आवश्यक दाना-घास के ढेर जगह-जगह लग गये। अश्यशालाएँ स्थान-स्थान पर बन गयीं। वैद्यशालाएँ भी खुल गयीं 1 इस तरह बड़े पैमाने पर मेले की व्यवस्था की गयी। उत्सव के लिए निर्दिष्ट दिन से दो दिन पूर्व सभी आवास स्थान लोगों पमहादेवी शान्तला : भाग दो :: 2013
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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