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________________ मैं देखूगा कैसे नहीं आएँगी? क्या पिरियरसी जी को मैं नहीं जानता? पूछ लेंगा, यह कैसा न्याय है?" बुतुगा की आँखों में हल्का-सा रोष भर आया था। "गलमहल ने यति गट निर्णय लिया कि साम बल गे तो फिर तुमको ही भेज दूंगा। टीक है न?" "आप राजमहत में कहिए। ऐसी सब बातें राजमहलों को सूझती नहीं।'' "हाँ, कहेंगे। अब जाकर पहले अम्माजी को बुला लाओ।" कुछ ही देर में बुतुगा कं साध शान्तला आयी। "अम्माजी, यह बुतुगा क्या कहता था, मालूम है? अगर हम भेजेंगे तो यह बुतगा खुद जाकर पिरियरसी जी को तुम्हारे विवाह में बुला लाएगा। इसे भेज दें" मारसिंगव्या ने पूछा। ___ येचारे बुतुगा को वस्तुस्थिति क्या मालूम? यह ठीक है कि उसने कहा, मैं बुलाने जाऊँगा। अगर स्वतन्त्रता होती तो शायद पिरियरसी जी आ जाती उसके साथ। परन्तु अभी आमन्त्रण ही नहीं गया है न" "क्यों, इस सम्बन्ध में किसी ने सोचा नहीं?" “सोचा नहीं, ऐसा तो नहीं है। सोचकर निर्णय लिया गया कि भेजना नहीं "तो क्या, तुम कहती हो कि इस विषय में फिर से सुझाना नहीं चाहिए?" "मेरी भी यही इच्छा है कि वे आएं। अप्पाजी, मैंने सुझाया भी। किन्तु राजनीतिक कारणों से आमन्त्रण न भेजने का ही निर्णय हुआ।" "तुम्हारी बात पर विट्टिदेव भी सहमत नहीं हुए?" "उन्होंने मेरे विचार को माना। अभी शत्रुओं के गुप्तचरों ने दोरसमुद्र में जो गड़बड़ी मचायी थी, उसकी वजह से एक हमला कर और आर्थिक दृष्टि से काफ़ी हद तक कमजोर हुए हैं। विवाह के आमन्त्रण को स्वीकार कर यहाँ आने का बहाना करके गुप्तचरों का एक बड़ा जाल पोयसल राज्य में फैल जाय तो क्या दशा होगी एक छोटी-सी बात को लेकर राष्ट्र के भविष्य को खतरे में डालना उचित नहीं। उनके कथन में काफ़ी सत्यांश भी है, अप्पाजी। इसलिए इस विषय पर सोचने की ज़रूरत नहीं। हाँ, बुतुगा का निराश होमा सहज है। बुतुगा, तुम एक काम कर सकोगे? अगर वह काम कर दोगे तो मुझे और तुम्हें दोनों को तृप्ति होगी।' ___ "ऐसा ही हो, अम्माजी।" बुतुगा ने कहा और यही प्रतीक्षा करता रहा कि वे क्या कहती हैं। "युतुगा, तुम्हारा विवाह करानेवाली पिरियरसी जी ही थीं न?" "हाँ।" "उन्होंने तुम्हें और दासब्बे को आशीवांट दिया था न" पट्टमहादेयी शान्तला : भाग दो :: 273
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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