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________________ "अच्छा, कल सुधर जाने के बाद चलेंगे।" “न, न, आज ही...जाना...वाहिए।" ''हाँ, वही हो। अभी वैधजी आएंगे। तब उनसे पूछकर ले चलूंगा। ठीक है "इतना...करें...ब...ह...त उप...कार...हो...गा।" "वैद्यजी ने कहा है कि अधिक बात नहीं करनी चाहिए। बात किये बिना आराम से लेटी रहिए।" सिर हिलाकर दण्डनायिका ने सात जतायी। दकव्वे कॉजी ले आयी। पित्त को शान्त करने में यह सहायक है और जल्दी हज़म भी होती है, इस बात को वैद्यजी पहले ही बता गये थे। देकब्बे ने छोटे बर्तन में थोड़ा-थोड़ा करके पिलाया। पतली होने के कारण दण्डनायिका को निगलने में विशेष तकलीफ़ नहीं हुई। दंकव्ये जितनी कांजी लायी थी. उसमें से आधी के करीब पी जा चुकी थी, तब दण्डनायिका के माथे पर, नाक पर और होठों पर पसीना निकलने लगा। दूसरी ओर बैठे दण्डनायक ने पास पड़े तौलिये से पसीना पोंछ दिया। ___ "देकव्ये, अब आध यड़ी बाद चूर्ण खिला देना।" दण्डनायक ने कहा। देकच्चे वहाँ के बर्तन-बासन उठा ले गयी और थोड़ी देर बाद चूर्ण को शहद में मिलाकर ले आची। उसे मरियाने ने अपने हाथ में लिया और बोले, ''मैं खुद खिलाऊंगा। बाँच्चयों का नाश्ता हो चुका हो तो वे यहाँ आ जाएँ।" बह चली गयी। दण्डनायक ने गजकणं पलाश के पत्तं पर शहद में मिलाये चूर्ण को अपनी अँगुली से लेकर दण्डनायिका को चटाया। उन्होंने उसे निगल लिया। थोड़ी दर में बेटियों भी वहाँ आ गयीं और पिताजी को जाने के लिए छुट्टी दी। वह चने गये फिर स्नान आदि से निबटकर, नाश्ता करके वहीं लौट आये। बच्चियों से बोले, “हाँ, मैं आ गया, अब तुम लोग जाओ और नहा-धोकर कपड़े बदलकर कंघी-अंधी कर आओ।" बेटियाँ चली गयीं। धोड़ी देर बाद देकब्जे शहद में गोली मिलाकर ले आयी ! उसे अपने हाथ में लेकर मरियाने न देकञ्चे को भेज दिया और खुद पत्नी को वह दवा चटाची। पत्नी ने दवा चाटने के बाद दो बार ज़ोर से खाँसा। ___देखिए, आपने कहा कि बैद्यजी आएँगे, आकर दवा दे जाएँगे। आपको यहाँ क्यों बैटे रहना चाहिए बेकार। दड़िगा से कहिए. वह यहाँ रहेगा। आप जाकर अपना काम देख लीजिए।" चामब्बे ने अपने पति की ओर नजर डाली। वास्तव में उसका गला और नितन्तु कुछ खुल गये थे। बात बोलने पर पहले की अपेक्षा पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो :: 299
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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