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________________ जाएँ तो बहुत जल्दी ही इसमे निष्णात हो सकते हैं।" मारसिंगय्या भोर से हंस पड़े। ''क्या आपको विश्वास नहीं?" "मुझे हैंसी इसलिए आयी कि आपने कालज्ञानी भविष्यवक्ता की तरह यह बात कह ही। क्या मैं नहीं जानता कि मेरी शक्ति की सीमा क्या है, कितनी है? वाह!" ___ "मैंने बस यूँ ही कहा था। कालज्ञानी की तरह कोई भविष्यवाणी नहीं की। माता-पिता की समस्त सहज शक्तियाँ, युक्तियाँ, गुण, व्यवहार, इच्छाएँ, अनिच्छाएँ बच्चों में संक्रमित होकर रूपायित होते हैं। यदि आपमें काव्य रसास्वादन की शक्ति न होती तो अम्माजी में यह सब कहाँ से आया? हेग्गड़ती जी केवल पढ़ना मात्र जानती हैं न? यदि उन्होंने अम्माजी की भाँति संगीत सीखा होता तो वे अम्माजी से भी अधिक श्रेष्ठ कलाकार बनी होती। ऐसे ही, आप भी साहित्य में निष्णात होते। आप दोनों की सम्मिलित शक्ति अम्माजी हैं। आप दोनों में पृथक्-पृथक् प्रद्योतित होनेवाली सारी विद्याएँ अम्माजी में केन्द्रित होकर प्रकट होनेवाली हैं। फिर उनके अपने पूर्वार्जित संस्कार भी तो हैं। इसीलिए वह शस्त्र-विद्या में भी प्रवीण हैं।" "ठीक है। फिर भी कुछ लोग मुझे खली कहते हैं। ऐसे लोगों को समझाना कठिन काम है।'' "तो क्या आप पहादण्डनायक जी के यहाँ से होकर आये हैं?" मारसिंगय्या कुछ बोले बिना प्रश्नवाचक दृष्टि से कवि नामचन्द्र जी की ओर देखने लगे। "क्यों हेगड़ेजी, इस तरह क्यों देख रहे हैं? मुझे मालूम है कि एक ब्रही जगह है जहाँ ऐसी बात हो सकती है। इसीलिए मैंने कहा । अन्यत्र कहीं ऐसी बात हो "आपके इस तरह सोचने का क्या कारण है?" बीच में ही हेगड़ेजी ने पूछा । कवि नागचन्द्र ने वह सारा वृत्तान्त कह सुनाया जो दण्डनायक जी के यहाँ दण्डनायिका से बातचीत के दौरान चला था। हेग्गड़ेजी ने भी वे सारी बातें बतायीं जो दण्डनायक और दण्डनायिका के साथ बातचीत के दौरान चली थीं। ___"तो मतलब यह कि अम्माजी का शस्त्र-विद्या में पारंगत होना दण्डनायिका को पसन्द नहीं। यही समझना चाहिए?" "न, न, हम क्यों ऐसा सोचने लगे? जानने का सहज कुतूहल भर है। जिसे हमने नहीं किया उसे दूसरे लोग करें तो यह ग़लत है, ऐसा कुछ लोग सोच सकते हैं। इसका कारण वह वातावरण है जिसमें ये पले-बढ़े हैं। उनका आश्चर्यचकित 24 :: पट्टमहादेवी शान्तला : माग दो
SR No.090350
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages459
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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