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________________ "यह मैं जानता हूँ, छोटे अप्पाजी । अब यहाँ इस विषय को छोड़ दें। रात में महल में चर्चा करेंगे।" "तो तुम प्रभु से ? करो। तुम्हारी स्वामिनिष्ठा मेरे लिए भी रक्षा कवच बने ।" रेवमय्या का घोड़ा दो कदम आगे बढ़ा। बिट्टिदेव के घोड़े से हाथ भर की दूरी पर रेविमय्या खड़ा रहा । "छोटे अप्पाजी, आपने कितनी बड़ी बात कही। मुझमें उतनी योग्यता कहाँ ? मुझे आपने एक दुविधा से पार कर दिया। मैं इसके लिए आपका सदा के लिए ऋणी हूँ। यह मेरा जीवन प्रभु के लिए और उनकी सन्तति के लिए धरोहर है।" कहते हुए उसकी आँखें आँसुओं से भर आयीं । बिट्टिदेव ने इसे देखा और यह सोचकर कि इसके मन को और अधिक परेशानी में नहीं डालना चाहिए, कहा, "अब चलो, लौट चलें।" उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही अपने टट्टू को मोड़ दिया । दोनों राजमहल की ओर रवाना हुए। उधर दोरसमुद्र में मरियाने दण्डनायक के घर में नवोपनीत वटु बल्लाल कुमार के उपनीत होने के उपलक्ष्य में एक प्रीतिभोज का आयोजन किया गया था। महाराजा विनयादित्य ने इसके लिए सम्मति दे दी थी। इसीलिए प्रबन्ध किया जा सका। आमतौर पर ऐसे प्रीति भोजों के लिए स्वीकृति मिल जाना आसान नहीं था। प्रभु एरेयंग और एचलदेवी यदि उस समय दोरसमुद्र में उपस्थित रहते तो यह हो सकता था या नहीं, कहा नहीं जा सकता। अब तो चामव्वा की इच्छा के अनुसार यह सब हुआ है। कुछ भी हो वह प्रधान मन्त्री गंगराज की बहन ही तो हैं। इतना ही नहीं, वह मरियाने दण्डनायक को अपने हाथ की कठपुतली बनाकर नचाने की शक्ति और युक्ति दोनों में सिद्धहस्त थी । उसने बहुत जल्दी समझ लिया कि कुमार बल्लाल का मन उसकी बेटी पद्मला की ओर आकर्षित है। ऐसी हालत में उसके मन की अभिलाषा को पूरा करने के लिए बहुत प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं, इस बात को वह अच्छी तरह समझ चुकी थी। ऐसा समझने में भूल ही क्या थी? उसे इस बात का पता नहीं था कि अभी से उनके मन को अपनी ओर कर लूँ तो पीछे चलकर कौन-कौन से अधिकार प्राप्त किये जा सकेंगे ? वह दुनियादारी को बहुत अच्छी तरह समझती थी। इसी वजह से आयु में बहुत अन्तर होने पर भी वह मरियाने दण्डनायक की दूसरी पत्नी बनी थी। उसे पहले से यह मालूम भी था, मरियाने की पहली पत्नी के दो लड़के पैदा हुए थे । 100 :: पट्टमहादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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