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________________ माचिकब्बे ने पूछा, "जब से आयी, तुम कहाँ रही अम्माजी?" "महाराजा के दर्शनों के बाद मैं और राजकुमार उनके अन्तःपुर में रहे।" शान्तला ने कहा। "तुम लोग बहुत समय पहले आ गये होंगे?" "हाँ माँ, एक प्रहर हो गया होगा!" शान्तला ने कहा। "अब तक क्या कर रही थी?" "बातचीत करते बैठे रहे।" । "क्या किसी राक्षस की कहानी कहते रहे?" "हाँ तो, हम दोनों अभी छोटे बच्चे हैं न? मनगढन्त कहानियाँ कहते-हँसते खेलते-कूदते रहे।" कहती हुई शान्तला के चेहरे पर क्रोध की रेखा खिंच गयी। "लो, देख लो ! नाक की नोक पर ही गुस्सा उतर आया। देखो, नाक कैसी चढ़ी हुई है। कुछ हँसी-खुशी की बात भी सह न सके-ऐसे बुढ़ापे की शिकार इस छोटी उम्र में ही? अम्माजी, एक बात समझ लो। तुम्हारे गुरुजी ने भी कहा होगा। परन्तु मैं माँ, अपने अनुभवी मा दताती हूँ। मेरा हँसमुक मा लीस मात दीर्घायु का शुभ लक्षण है। इसलिए कभी चेहरे पर गुस्से से सिकुड़न न आने देना।" "मन में जो पीड़ा हुई उसे भी कहें नहीं?" "मन में पीड़ा हो, चाहे असह्य वेदना रहे, फिर भी हँसते रहना चाहिए। अम्माजी, अभी बेलुगोल में स्थित बाहुबलि में भी तुम देखोगी। उन्होंने कितना दुःख सहा; कितनी कसक रही। जब कसक की पीड़ा अधिक हुई तो धीरज के साथ किस तरह अभिमानपूर्वक मुकाबिला किया; उस छिड़ी हुई दशा में कितना दर्द सहना पड़ा। एकबारगी उस अभिमान अहंकार से छुट्टी पायी तो वहीं उस कसक या दर्द के लिए स्थान ही न रह गया। यों वहाँ हँसमुख बाहुबलि को मूर्ति स्थायी रूप से स्थित हो गयी। यहाँ जाकर देखोगी तो यह सब समझ में आ जाएगा। तुम अभी छोटी बच्ची हो। पर होशियार और प्रतिभाशाली हो। फिर भी अभी अनुभव नहीं है। अभी से मानसिक दु:ख-दर्द के कारणभूत इस अभिमान को दूर कर देना चाहिए। समझी अम्माजी! अब बताओ, तुम लोग क्या-क्या बात कर रहे थे?" "राजकुमार ने पूछा, 'तुम्हारा गाँव कैसा है और वहाँ क्या-क्या है ?' मैंने जो जाना था सो सब बता दिया।" "क्या उन्हें हमारा गाँव पसन्द आया?" "क्या-क्या अच्छा लगा-सो तो मैं बता नहीं सकती। परन्तु जब मैंने मानवाकार में स्थित उस गण्डभेरुण्ड के बारे में बताया तो उसके विषय में उनका उत्साह लक्षित हुआ।" "उसके बारे में राजकुमार ने कुछ बातें की ?" पट्टमहादेवो शामला :. 15
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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