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में सोचना अच्छा है।"
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"यह अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है। क्या वे उसके लिए चिन्ता नहीं करते होंगे? जरूर सोचते होंगे। युवरानी इसके लिए सिर क्यों खपा रही हैं ?" 'आपका कहना ठीक हैं। क्या यह सहज बात नहीं कि श्रेष्ठ वस्तु उसके योग्य उत्तम स्थान पर ही हो-यह चाहना स्वाभाविक ही तो है। यदि इस अम्माजी की योग्यता के अनुरूप योग्य वर प्राप्त न कर सके, तो तब हमें उनकी सहायता करना क्या गलत होगा ? राजमहल का परिवार केवल कोख के जन्मी सन्तान तक ही तो सीमित नहीं आप सब हमारे ही परिवार के हैं, यह हमारी मान्यता है । है या नहीं ?"
"हाँ, यह हमारा सौभाग्य है।"
"यदि कल आप ही अपनो सन्तान के लिए राजघराने से ही व्यवस्था कराने की इच्छा करें तो क्या हम नाहीं कर सकेंगे ? हमारा बेटा उदयादित्य और आपका पुत्र उदयादित्य - दोनों का जन्म एक ही दिन हुआ न ? हमारी आपस में आत्मीयता के होने के कारण आपने अपने कुमार का भी वही नाम रखा न, जो हमने अपने बेटे का रखा। कल यदि आपकी पुत्री रविचन्द्रिका और उसकी बहन शान्तिनी के लिए योग्य वर ढूँढ़ना पड़े तब हमारे सहयोग का इनकार सम्भव हो सकेगा ?"
चन्दलदेवी कोई जवाब नहीं दे सकी। उसका मौन सम्मति की सूचना था। इतने में बोम्मले ने आकर बताया कि शान्ति जाग उठी है और हठपूर्वक रो रही है। चन्दलदेवी और उसके साथ ही बोम्मले भी चली गयी।
अब वहाँ माँ और बच्चे ही रह गये। अब तक वे मौन थे, यह चुप्पी असह्य हो उठी। छोटा उदयादित्य सो चुका था ।
"माँ, हमारी शिक्षा पूरी हो गयी न?" राजकुमार बल्लाल ने पूछा ।
"हाँ तो, मैं भूल ही गयी थी। तुम लोग अभी तक यहीं हो ?" कहती हुई निद्रित उदयादित्य की पीठ सहलाती हुई युवरानी ने पूछा, "अप्पाजी, वह लड़की तुम्हें अच्छी लगी ?"
उत्तर में बल्लाल ने पूछा, "कौन लड़की ? दण्डनायक की बड़ी लड़की ?" युवरानी थोड़ी देर मौन हो उसकी ओर देखती रही, फिर मुस्कुराती हुई पूछने लगी, "हाँ, बेटा, सुन्दर है न?"
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उसने अपने भाई की ओर देखा और सम्मतिसूचक दृष्टि से माँ को भी देखा | 'भले अप्पाजी! मेरा पूछने का मतलब हेग्गड़तीजी की लड़की शान्तला के बारे में था। उसका गाना और नृत्य... '
"
"वह सब अच्छा था। परन्तु उसे राजघरानेवालों के साथ कैसा बरतना चाहिएसो कुछ भी नहीं मालूम है। खुद युवरानीजी ने जो पुरस्कार देना चाहा, उसे उसने इनकार किया - यह मुझे बरदाश्त नहीं हुआ। मैं गुस्से से जल उठा।"
पट्टमहादेवी शान्तला : 51