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________________ हमारा सर्वस्व इसके लिए समर्पित है।" इसी समय एक नौकरानी ने आकर इशारे से ही सूचना दी। "सभी तैयार हैं, कालचे?" नौकरानी ने इशारे से 'हाँ' कह दिया। "चलिए, हेग्गड़तीजी, अभी हमारा प्रात:कालीन उपाहार नहीं हुआ है।" "मेरा उपाहार अभी हुआ है। आप पधारिए। मुझे आज्ञा दीजिएगा।" "आत्मीयता की भावना का यह प्रत्युत्तर नहीं है।" इसके बाद दोनों उठीं। माचिकब्बे ने युवरानी का अनुसरण किया। शालिवाहन शक सं. 1014 के आंगौरस संवत्सर शिशिर ऋतु माघ मास शुक्ल सप्तमी गुरुवार के दिन शुभ मेष लग्न के कर्नाटक नवांश, गुरु त्रिशांश में गुरु लग्न मुहूर्त में अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में रहते कुमार बल्लाल का उपनयन संस्कार सम्पन्न हुआ। समारम्भ बड़ी धूमधाम से शास्त्रोक्त रीति से सम्पन्न किया गया। महाराजा अस्वस्थता के कारण आ न सके थे। उन्हें उस स्थिति में छोड़कर न आ सकने के कारण प्रधानमन्त्री गंगाराज भी नहीं आ सके। शेष सभी मन्त्री, दण्डनायक आदि उपस्थित रहे। कुछ प्रमुख हेगड़े जन भी आये थे। राज्य के प्रमुख वृद्ध व्यावहारिक और प्रमुख नागरिक आदि सभी आये थे। अब हाल में महाराज के प्रधान मुकाम बेलापुरी और दोरसमुद्र ही थे। अतः समस्त राज-काज वहीं से संचालित होता था। इसलिए सोसेऊरु का प्राधान्य पहले से कम था। परन्तु इस उपनयन समारम्भ के कारण सब तरह से सुसज्जित किया गया था। और वहाँ के सारे भवन अतिथिगृह आदि लीप-पोतकर बन्दनवार आदि से अलंकृत किये गये थे। मुख्य-मुख्य राजपश्न एवं रास्ते गोबर से लीप-पोतकर विविध रंगों की रंगोली आदि से सजाये गये थे। प्रत्येक घर सफेदी आदि करके साफ-सुथरा किया गया था। सारा शहर एक परिवार का-सा होकर इस समारोह में सम्मिलित हुआ था। युवराज एरेयंग प्रभु के नेतृत्व में समारोह यथाविधि सम्पन्न हुआ। परन्तु इस सपस्त समारोह के संचालन की सूत्रधारिणी वास्तव में युवरानी एचलदेवी ही थीं। उन्हीं के हाथों सारा कार्य संचालित होकर सम्पन्न हुआ। इनके साथ युवराज और युवरानी के विश्वस्त व्यक्ति चिण्णम दण्डनाथ और उसकी पत्नी श्रीमती चन्दलदेवी ने रातदिन एक करके युवराज की और युवरानी के आदेशानुसार बहुत सतर्क होकर सारा कार्य निभाया था। चिण्णम दण्डनाथ से ऊँचे स्थान पर रहने पर भी परियाने दण्डनायक 46 :: पट्टमहादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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