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________________ "अच्छे सम्बन्ध शंकारहित वातावरण में ही बन सकते हैं। इसके बदले जब उन्हें सब मालूम हो गया है तब भी तुम ऐंठी रहो तो सम्बन्ध और कट भी जा सकता है। सदा याद रखो कि अपनी गलती स्वीकार करने में ही बड़प्पन है।" "अच्छा भैया, जो तुम कहोगे वही करूंगी, अपनी लड़की के लिए और उसके श्रेय के लिए नहीं करूंगी। परन्तु इस बारे में राजमहल में जो हुआ वह मुझे बता सकते हैं?" "जितना बताना चाहिए, उतना तो बता दिया है। अब और बताने की कोई वजह नहीं।" "अगर वह मालूम हो जाए तो आइन्दा ध्यान रख सकूँगी कि वहाँ जाने पर कैसा व्यवाहार करूँ।" "वहीं तो अब तुम्हें करना नहीं चाहिए। तुम जैसी रहीं वैसी रहना सीखो। कोई खास बात हो तो मैं उसकी सूचना दूंगा। आइन्दा तुम स्वतन्त्र रूप से कुछ करोगी तो मैं ही तुम्हारे सम्बन्ध तुड़वाने में अगुआ बनूंगा, समी?" चामध्चे को कोई दूसरा चारा नहीं था, हाँ कहना ही पड़ा। गंगराज चला गया। चामचा सोचने लगी कि उसकी अपनी स्वतन्त्रता पर कैसा बन्धन लग गया। "एक शिल्पी को इतने विषयों का ज्ञान क्यों अनिवार्य है?" बिट्टिदेव ने सहज ही पूछा, एक बार शिल्पी दासोज से वास्तु-शिल्प के अनेक विषयों पर चर्चा के दौरान । बलिपुर के केदारेश्वर एवं ओंकारेश्वर मन्दिरों का शिल्पी यही दासोज था। उसके पिता रामोज ने ही उसे शिल्प शिक्षण दिया था। वैद्यशास्त्र, संगीतशास्त्र, नृत्य-शास्त्र, चित्रकला, वास्तुशिल्प, आदि में तो पूर्ण पाण्डित्य जरूरी था ही, वास्तव में, मन्दिर-निर्माण के लिए आगम शास्त्र और पुराणेतिहासों का अच्छा परिचय भी आवश्यक था। बिट्टिदेव नहीं समझ सका कि एक शिल्पी को इतने विषयों का ज्ञाता क्यों होना चाहिए। "इन सबकी जानकारी न हो तो कला से जिस फल की प्राप्ति होनी चाहिए वह नहीं हो सकती । प्रतिमा-लक्षण निर्देश करने के कुछ क्रमबद्ध सूत्र हैं। वे मानवदेह की रचना के साथ मेल खाते हैं, यद्यपि मानव मानव में लम्बाई-मुटाई आदि में भिन्नता होने पर भी प्रतिमा के लिए एक निश्चित आकार निर्दिष्ट है। प्रतिमेय के पद आकारप्रकार, वेश-भूषा, आसन- मुद्रा, परिकर-परिवेश आदि की व्यापकता की दृष्टि से प्रतिमा का निर्माण करनेवाले को चित्र. नृत्य, संगीत आदि का शास्त्रीय ज्ञान होना ही पट्टमहादेवी शान्तला :: 381
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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