SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "तुम्हारी कठिनाई क्या है, बताओ, वह भी सुनता हूँ।" "तुम्हें मालूम ही है कि मैं अपनी बड़ी लड़की का विवाह राजकुमार के साथ करना चाहती हूँ। तुमने भी कहा है कि मेरी इच्छा गलत नहीं। है न?" । "अब भी तो यही कह रहा हूँ। अकेली तुम ही क्यों, इस दुनिया की कोई माता अपनी लड़की के विषय में ऐसी आशा अवश्य ही कर सकती है। इसमें आश्चर्य की कौन-सी बात है।" "तो मतलब यह कि हमारे पटवारी कालम्मा की पत्नी भी अपनी लड़की कालने को महारानी बनाने की चाह रख सकेगी?" "कोई भी ऐसी भाषा कर सकती है। परन्तु सबको आशाएँ सफल नहीं हो सकेंगी।" "तो क्या आप कहेंगे कि पटवारी की पत्नी की भी ऐसी आशा सही है?" "जरूर। परन्तु इतना अवश्य है कि इसके लिए राज -परिवार की स्वीकृति मिलना या न मिलना अनिश्चित है।" "स्वीकृति देंगे, ऐसा मानना ठीक होगा?" "स्वीकार करें तो ठीक अवश्य है।" "शायद इसीलिए हेग्गड़ती ने यह षड्यन्त्र रचा है। भैया, मेरे मन में जो है उसे स्पष्ट बताये देती हूँ। वह सही है या गलत इसका निर्णय कर लेना। मालूम नहीं तुम जानते हो या नहीं कि बलिर की हेग्गड़ती अपनी बेटी का विवाह छोटे राजकुमार से करने के मौके को प्रतीक्षा कर रही है।" "ऐसा है क्या, पहले तुमने कहा था कि जिसे मैं अपना दामाद बनाना चाहती हूँ, उसे हो वह अपना दामाद बनाना चाहती है? अब तुम जो कह रही हो वह एक नयी ही बात है।" "हाँ, कैसे भी हो, मुझे भी साथ ले लो की नीति है उस हेग्गड़ती की।" "माने?" "माने तो स्पष्ट है। बड़े राजकुमार ने हमारी पद्मला को पसन्द किया है, यानी अब उसकी लड़की का विवाह बड़े राजकुमार से तो हो नहीं सकता, यही सोचकर अब ग्रह नया खेल शुरू किया है उसने, जिसका लक्ष्य बहुत दूर तक है।" "तो मतलब यह हुआ कि तुम्हें ऐसी बहुत-सी बातें मालूम हैं जो हम भी नहीं जानते। यह नया खेल क्या है?" "भैया, वह खेल एक तन्त्र ही नहीं, बहुत बड़ा षड्यन्त्र भी है, बल्कि राजद्रोह भी है।" "यह क्या मनमाने बोल रही हो, बहिन, राजद्रोह कैसे है?" "तो यह तात्पर्य हुआ कि मेरे मालिक ने सारी बातें आपको बताया ही नहीं 378 :: पट्टापादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy