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________________ लम्बी-लम्बी बात करनेवालों के साथ बात करना ही हमें ठीक नहीं लगता। मैंने कल रात तुम्हारे चले जाने के बाद यह निर्णय किया है।" "मैंने भी कल रात निर्णय किया है कि बच्चों की कसम खाकर सत्य कहूँगी। इसलिए जो भी संशय हो उसका निर्णय यहीं आपस में हो, किसी तीसरे के सामने न हो।" "हम दोनों में निर्णय हो तो भी बात उन्हें मालूम होनी ही चाहिए।" "वह आपको आपसा के पास है, मैं इस प्रवेश नहीं कर प.स.।" "ठीक । अब बच्चों की कसम खाकर यह बताओ कि बलिपुर के हेग्गड़ेजी को आमन्त्रण-पत्र न पहुंचने का कारण तुम नहीं हो? बताओ, क्या कहोगी?" "क्या कहा?" "फिर उसी को दुहराना होगा?" "मैं उसका कारण हूँ। यह आप मुझपर आरोप कर रहे हैं।" "मैं आरोप नहीं करता। राजमहल की तरफ से यह आरोप है, यह झूठा साबित हो, यही मेस मतलब है।" "यह आरोप किसने लगाया।" "मुझे भी इसका ब्यौरा पालूम नहीं । तुम्हारे भाई मुझे महाराज के पास ले गये। महाराज ने मुझसे सवाल किया, बलिपुर के हेग्गड़ेजी के पास आमन्त्रण-पत्र न पहुँचने का कारण दण्डनायिका है। मैंने निवेदन किया कि जहाँ तक मैं जानता हूँ बात ऐसी नहीं है तो इस तरह का प्रमाण-वचन लेने का आदेश हुआ। किसने कब यह बात कही और यह शंका कैसे उत्पन्न हुई ये सब बातें मैं सन्निधान से पूछ भी कैसे सकता हूँ? उनका आदेश मानकर 'हाँ' कह आया। बाद में ये सारे सवालात तुम्हारे भाई के सामने रखे तो उन्होंने भी बताया कि इस विषय में उन्हें कुछ मालूम नहीं। इसलिए अब तुम अकेली ही इस आरोप को झूठा साबित कर सकती हो तो कहो। इस तरह की हालत उत्पन्न नहीं होनी चाहिए थी। पर वह आयी है तो जो कहना चाहती हो सो बच्चों की कसम खाकर कह दो।'' उसको आवाज धीमी पड़ गयी। वह छत की ओर देखने लगा। चामव्वे कभी किसी से डरी नहीं। वह द्रोहधरट्ट गंगराज की बहिन है। साधारण स्थिति होती तो द्रोही को चीर-फाड़कर खतम कर देती । कौन है वह द्रोही? अब क्या करे वह? उसका पत्थर जैसा दिल अन्न चकनाचूर हो गया। कौन माँ ऐसी होगी जो अपने बच्चों की बुराई चाहेगी, "मालिक, मैं माँ हूँ। मैंने जो भी किया, बच्चों की भलाई के लिए किया। क्षमा करें।" "तुमने मुझपर भी विश्वास न किया। अब आश्रयदाता राज-परिवार मुझे सन्देह की दृष्टि से देखता है। क्षमा करनेवाला मैं नहीं, महाराज, युबराज और युवरानी हैं। 130 :: पट्टमहादेवी शानला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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