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________________ "जब प्रभु स्वयं यहाँ उपस्थित हैं तब...'' "हम भी तो आप ही से शिक्षित हैं, हैं न? इतना सब करने का हमें अवकाश ही कहाँ।" "जी, वहीं करूँगा।" "अच्छा ।" मरियाने चला गया। युवरानी एचलदेवी को इस सारी बातचीत का सारांश जल्दी ही मालूम हो गया। नागचन्द्रजी को पहले ही सूचित किया जा चुका था कि मरियाने से बात करते वक्त उस बात का ये खुद अपनी तरफ से जिक्र न करें। कुमार बिट्टिदेव अब पन्द्रह की आयु पूर्ण कर सोलहवीं की ड्योढ़ी पर हैं । जन्य-दिन का उत्सव मंगल-बाय के साथ बड़े सम्भ्रम के साथ पारम्परिक ढंग से आरम्भ हुआ। यह उत्सव शाम के दीपोत्सव के साथ हँसी-खुशी में समाप्त हुआ। जन्म-दिन के इस उत्सव को एक नया प्रकाश भी मिल गया था। इसका कारण था कि बड़ी रानीजी की विदाई का प्रीतिभोज भी उसी दिन था। बलिपुर में जैसी विदाई हुई थी उसमें और यहाँ की विदाई के इस समारोह में अधिक फरक न दिखने पर भी बड़ी रानीजी को इस बात का पता नहीं लग सका कि आत्मीयता में कौन बड़ा, कौन कम है। परन्तु अज्ञातवास की अवधि में हेग्गड़े परिवार ने जो व्यवहार किया था, वही इस क्षणिक भावावेश का कारण था। वे उस रात बहुत ही आत्मीय भावना से युवरानी एचलदेवी को छाती से लगाकर कहने लगी, "दीदी,..दीदी...दीदी...आज मुझे कितना सन्तोष हो रहा है, कहने को मेरे पास शब्द नहीं। आनन्द से मेरा गला इतना भर आया है कि बात निकल ही नहीं पा रही है। आपको छोड़कर जाने का भारी दुःख हैं हृदय में। आनन्द और दुःख के इस मिलन में मैं अपना स्थान मान भूल गयो हूँ। मेरे हृदय में एकमात्र मानवीयता का भाव रह गया है, इसीलिए मेरे मन से अनजाने ही सम्बोधन निकल गया, दीदी। यहाँ आये कई महीने हुए, कभी ऐसा सम्बोधन नहीं निकला। मेरे मन में हेग्गड़ती और तुम्हारे द्वारा प्रदर्शित आत्मीयताओं की तुलना की प्रक्रिया धुमड़ रही है। यह मानसिक प्रक्रिया, ठीक है या नहीं, ऐसी प्रक्रिया ही क्यों मन में हुई, इन प्रश्नों का उत्तर मैं नहीं दे सकती। यह प्रक्रिया मेरे मन में चली है, यह कहने में मुझे कुछ भी संकोच नहीं। हस्ती-हैसियत को भूलकर आपको और भाभी माचिकब्बे को जब देखती हूँ तो मुझे सचमुच यह मालूम ही नहीं पड़ता है कि कौन ज्यादा है और कौन कम है। आप दोनों में जो 304 :: पट्टमहादेवी शासला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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