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________________ कोई देखे नहीं, और हम साधारण लोग ही बने रहें। आप-जैसों का प्रेम और उदारता हम पर बनी रहे, इतना ही पर्याप्त है। हमें आशीर्वाद दें कि हमारा भला हो, हमारे लिए यही बहुत है। कृपा करके यह आयोजन न करें।" "आप अपने को सामान्य मान भी लें, किन्तु हम कैसे मानें ? देखिए, बड़ी रानीजी और युवरानीजी आप लोगों पर कितना प्रेम और विश्वास रखती हैं।" "वह उन लोगों की उदारता है, और हमारा भाग्य है।" "इतना ही नहीं, आपकी योग्यता का भी महत्त्व है। जब आपको इतना ज्ञान है तब आप पत्ते के पीछे छिपी कैसे रह सकती हैं ? मेरा निमन्त्रण नहीं मानेंगी तो मैं युवरानीजी से ही कहलाऊँगी।" । "ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए उन्हें कष्ट नहीं देना चाहिए। ठीक है, आएंगे। प्रेम से खिलाती हैं तो इनकार क्यों करें?" "हमारे प्रेम के बदले हमें आपका प्रेम मिले तो हम कृतार्थ हैं।" "प्रेम जितना भी बांटो वह कम नहीं होता। तब पीछे कौन हदे । वास्तव में आप-जैसे उच्च स्तर के लोगों की प्रीति हम जैसों के लिए रक्षा-कवच है।" माचिकब्बे ने कहा। "एक और विनती है। दण्डनायकजी आपकी पुत्री का गाना सुनना और नाच देखना चाहते हैं। कृपा हो सकेगी?" "उसके पास उसके लिए आवश्यक कोई साज नहीं है। इसके अलावा उसके गुरु भी साथ नहीं। इसलिए शायद यह नहीं हो सकेगा। इसके लिए क्षमा करनी पड़ेगी। खुद युवरानीजी ने भी चाहा तो उसने केवल तम्बूरे को श्रुति पर गाया था। नृत्य नहीं हो सका।" "तो यहाँ भी उतना ही हो। मेरे बच्चों के गुरुजी हैं। चाहें तो नृत्य का निर्देशन वे कर देंगे।" "शायद गाना हो सकता है, नृत्य तो हो ही नहीं सकेगा। फिर भी उससे पूछे बिना मैं स्वीकार नहीं कर सकूँगी। अम्माजी कह रही थी कि आपकी भी बच्चियों ने बहुत अच्छा सीखा है। हममें इतनी हैसियत नहीं कि उनसे गायन और नृत्य दिखाने को प्रार्थना करें । बड़ी रानीजी जब यहाँ पधारी थी तब उन्होंने भी आपकी बच्चियों का नृत्य देखना और गाना सुनना चाहा था। उन्हें यह अवसर मिलता तो हम भी देख लेते।" "बड़ी रानीजी का जन्मदिन अब एक पखवारे में आनेवाला है। उस समय उसकी व्यवस्था करने का निश्चय किया है। तब तक आप लोग भी रह जाती तो अच्छा होता।" "हम स्त्रियों के लिए क्या है, रह सकती थी। परन्तु हमारे स्वामी को अनेक 224 :: पट्टमहादेवी शरन्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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