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________________ देखिएगा ।" सो...." 'मुझे भी ऐसा कोई काम नहीं है। युवरानीजी को यदि कोई आवश्यकता हुई "रेवमय्या और दूसरे लोग भी हैं। वे देख लेंगे। अच्छा चामव्वाजी" - कहकर एचलदेवी अन्दर चली गयी। बिट्टिदेव का भाग्य ही अच्छा था। नहीं तो चामव्वा से धक्का खाकर उसके पैरों के नीचे गिर सकता थ. । दो-तीन कदम आगे बढ़ने के बाद ही चामव्वा खड़ी हो पायी। उसने पीछे की ओर मुड़कर देखा तो वह छोटे अप्पाजी बिट्टिदेव थे । कोई और होता तो पता नहीं क्या हुआ होता। राजकुमार था, इसलिए चामव्या के क्रोध का शिकार नहीं बन सका। ब्रिट्टिदेव चलने लगा । उसने बड़े प्रेम से पुकारा, "छोटे अप्पाजी, छोटे अप्पाजी !" बिट्टिदेव रुका। मुड़कर देखा । चामव्वा उसके पास आयी। बोली, "बेलुगोल से सोसकर जाते वक्त अप्पाजी को देखकर जाएँगे - ऐसा मैंने निश्चय किया था।" "यह मालूम था कि युबराज और माँ सोसेऊरु जाएँगे। इसलिए सीधा वहीं चला गया। " " बेलुगोल कैसा रहा?" " 'अच्छा रहा।" " 'अगले महीने हम सब जाएँगे। तुम भी चलोगे ?" 66 'मैंने पहले ही देख लिया है न ?" "एक बार और देख सकते हो।" 64 'वह वहीं रहेगा। कभी भी देख सकते हैं। " " बड़े अप्पाजी भी चलने को राजी हैं। तुम भी चलो तो अच्छा!" " हो सकता है, यहाँ माँ अकेली हो जाएँ।" 41 'उदय रहेगा न!" " अभी कल-परसों ही तो मैंने बेलुगोल देखा है । " "तुम्हें खेलने के लिए साथ मिल जाएगा। हमारी चामला खेल में बहुत होशियार हैं। और फिर, जब हम सब चले जाएँगे तो यहाँ तुम्हारे साथ कोई न रहेगा।" "सोसेऊरु में कौन था ?" "यह दोरसमुद्र हैं, छोटे अप्पाजी।" "तो क्या हुआ ? मेरे लिए सब बराबर हैं।" 14 'अच्छा, जाने दो। हमारे साथ चलोगे न ?" 11 पट्टमहादेवी शान्तला : 1.39
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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