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________________ उन्होंने इसके हिन्दी अनुवाद को पढ़कर वस्तुविन्यास, पात्र - निर्वहण, निरूपण - तन्त्रों से आकृष्ट होकर इसमें गौरव दर्शाया। और वही गौरव मुझे भी दर्शाकर वे इस प्रकाशन कार्य में हृदय से तत्पर हुए थे। डॉ. वि. प्र. जैन के बाद, वर्तमान में भारतीय ज्ञानपीठ के कार्यसचिव का स्थान कवि श्री बालस्वरूप राही ने ग्रहण कर लिया है। वे और ज्ञानपीठ के प्रकाशन विभाग के अधिकारी डॉ. गुलाबचन्द्र जैन दोनों ने त्वरित गति से इस ग्रन्थ के प्रकाशन कार्य में विशेष रुचि दिखायी। उनसे सभी तरह का सहयोग प्राप्त हो रहा है। उनके लिए मेरा आभार ज्ञापन | श्रवणबेलगोल के श्री जैन मठ के पीठाधिपति श्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी ने यद्यपि सीधा मुझे कुछ नहीं बताया, नहीं लिखा, व्यक्तिगत परिचय का अवसर भी नहीं आया, तो भी मेरी कन्नड़ रचना को पढ़कर, परोक्ष में ही उसकी प्रशंसा श्री साहू श्रेयांस प्रसाद जी के समक्ष प्रकट की। यह इस रचना के लिए उनसे प्राप्त शुभाशीर्वाद मानता हूँ। हिन्दी अनुवाद के कार्य को अपनी इस आयु में (पचहत्तर के करीब ) बहुत ही आत्मीयता से, अपने स्वतः के कार्य के जैसे से करीबी पि. वेंकटाचल शर्मा जी का मैं कृतज्ञ हूँ। हस्तप्रति टाइप होकर, यथासम्भव कम गलतियों से ज्ञानपीठ को पहुँचाना था। हिन्दी में टाइप करनेवाले श्री वेंकटरामय्या के सकालिक सहयोग का मैं आभारी हूँ। सम्भवनीय गलतियों को निवारण करने में कन्नड़ मूल रचना के साथ हिन्दी अनुवाद को तुलना कर अवलोकन करने में, मेरे कन्नड़ भाषा के आत्मकथन तथा इस निवेदन को हिन्दी अनुवाद करने में एवं अनेक विधों में सदा के जैसे मेरे सभी कार्यों में हमेशा सहायता करनेवाले मेरे मित्र विद्वान श्री एच. जि. शितिकण्ठ शर्मा एम. ए. साहित्यरत्न का मैं कृतज्ञ हूँ । ग्रन्थ प्रकाशन में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से सहायता करनेवाले सभी जनों का मैं पुनः आभार मानता हूँ । 710 | 'बि' मुख्य मार्ग 7 ब्लॉक, बनशंकरी III स्टेज बेंगलूर दुन्दुभि सं. कार्तिक बहुल द्वादशी 12 दिसम्बर, 1992 सोलह इति, सी. के. नागराजराव
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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