SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सादी भावना थी। अपनी बहन को जो काम करना था उसे वह करे तो उसमें तो कोई गलती नहीं यह उसकी बातों से ध्वनित हो रहा था। __ "नहीं, कुछ भी नहीं चाहिए..." बल्लाल ने कहा। साड़ी पहनकर यदि चामला आयी होती तो वह भी पद्मला ही की तरह लगती। उसने लहँगा-कुरती पहन रखी थी। वास्तव में वह पद्मला से दो वर्ष छोटी थी। मझोली होने के कारण कुछ हृष्ट-पुष्ट भी थी। यदि दोनों को एक ही तरह का पहनावा पहना दें तो जुड़वा-सी लगती। ऐसा रूप-साम्य था। केवल आवाज में फर्क था। पद्मला की आवाज कांस्य के घण्टे की आवाज की तरह थी तो चामला की मधुर और कोमल । 'उसे ही चाहिए क्या ?'–चामला की इस स्वर-लहरी में जो माधुर्य था वह कुमार बल्लाल के हृदय में स्पन्दित हो रहा था। कहने में कुछ अटपटा होने पर भी वह अपने भाव को छिपाने की कोशिश कर रहा-सा लगता था। फिर भी उसकी दृष्टि चामला पर से नहीं हट पायी थी। ___ चामला भी कुछ देर ज्यों-की-त्यों खड़ी रही। उसे कुमार बल्लाल के अन्तरंग में क्या सब हो रहा है, समझ में न आने पर भी, इतना तो समझ गयी कि वे कोई बात अपने मन में छिपाये रखना चाहते हैं। "यदि रहस्य की बात हो तो बहन को ही भेजती हूँ।'' कहती हुई जाने को तैयार झट बल्लाल कुमार ने कहा, "रहस्य कुछ नहीं। अकेले पड़े..पडे ऊब गया था; यहाँ कोई साथ रहे, इसलिए घण्टी बजायी।" जाने के लिए तैयार चामला फिर वैसे ही रुक गयी। बल्लाल ने प्रतीक्षा की कि वह शायद पास आये। प्रतीक्षा विफल हुई। तब उसने कहा, "पुतली की तरह खड़ी रहना और किसी का न रहना दोनों बराबर है। आओ, यहाँ पास आकर बैठो।" कहकर पलंग पर अपने ही पास जगह दिखायी। वह उसके पास गयी, पर पलंग पर न बैठकर, पास ही दूसरे आसन पर जा बैठी। बोली, "हाँ, बैठ गयी; अब बताइए क्या करूँ।" उसकी ध्वनि में कुछ नटखटपन से मिश्रित ढीठपन था। "तुम्हें गाना आता है?" बल्लाल ने पूछा। "आता है, परन्तु दीदी की तरह मेरी आवाज भारी नहीं।" "मधुर लगती है न।" "मैंने अभी गाया ही नहीं।" "तुम्हारी बातचीत ही मधुर है। गाना तो और ज्यादा मधुर होगा। हाँ, गाओ न?" चामला गाने लगी। बल्लाल को वह अच्छा लगा। उसने पूछा, "तुम्हारे गुरु [14 :: पट्टपहादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy