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________________ 6 बलहद्दचरिंठ (बलभद्रचरित) 7 सिरिवालचारेउ । श्रीपालचारत अपरनाम सिद्धचकमाहप्प ) 8 पज्जुण्णचरिउ (प्रद्युमचरित) १ वित्तासार (वृत्तसार) 10 दशलक्खणजयमाल (दशलक्षण जयमाला) 11 रत्नत्रयी 12 षड्धार्मोपदेशरत्नमाला (अपरनाम उचएसरयणमाल) 13 विसयत्तचरिउ (भविष्यदत्तचरित) 14 करकंडचरिउ 15 अप्पसंबोहकध्व (आत्मसंबोध काव्य) 16 पुग्णासव कहा (पुण्यात्रव कथा) 17 सम्मसगुणणहाणकव्व। 18 कारणगुणसोउसी (षोडशकारण जयमाल) 19 बारह भावना 20 संबोहपंचामिका (संबोध पंचासिका) 2। घण्णकुमार चरिउ (धन्यकुमारचरित) 22 सिद्धन्तसार (सिद्धान्तार्थ) 23 वृहत्सिद्धचपूजा (संस्कृत) 24 सम्मत्तभावय (सम्यक्त्व भावा) 25 जसहरचरिउ (यशोधरचरित) 26 जीणधरवरिउ (अपरनाम जीमंधरचरित) 27 कोमइकहापबंधु (अपरनाम सम्मत्तक उमुह अथवा सावयचरिउ) 28 सुक्कोसल चरिउ (सुकौशलचरित) 29 सुदंसणचरिउ (सुदर्शनचरित) 30 अणथमिउकहा32 __उपर्युक्त साहित्य सृजन की प्रतिभा कवि ने कहाँ से जुटा पायीं होगी, इस विषय में सन्देह भी हो सकता है, किन्तु कवि रइधू ने स्वयं इस शंका का निवारण करते हुए लिखा है कि वे एक दिन जब रात्रि में चिन्तितावस्था में शयन 32 रइधू गहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, (पृ. 46 से 54) पर आधारित।
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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