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________________ Ssxesc रूप से लिखा गया प्रथम महाकाव्य है। उनके द्वारा लिखा गया एक अन्य ग्रन्थ 'यशोधरतरित' आगामी जैन कथा लेखकों एवम् श्रोताओं का कण्ठहार बन गया है। वादिराज सूरि के समसामयिक आचार्य मल्लिषेण ने 'नागकुमारचरित' की रचना की। इसकी रचना पाँच सर्गों में हुई। इसमें श्रुतपञ्चमी का माहात्म्य दिखलाया गया है। 9 विक्रम सं. 1216 - 1228 में आचार्य हेमचन्द्र ने 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' की रचना की। इसमें जैनधर्म के 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, नारायण तथा 9 प्रतिनारायण इन 63 शलाकापुरुषों के जीवन का वर्णन किया गया है। श्वेताम्बर परम्परा में यह बहुत लोकप्रिय है। हेमचन्द्राचार्य ने जैन राजा कुमारपाल पर भी एक काव्य लिखा, जिसे 'द्वयाश्रय काव्य' या 'कुमारपाल में चरित' कहते है। इसमें 18 सर्ग हैं, जिनमें 10 संस्कृत भाषा में और 8 प्राकृत हैं। ! उपर्युक्त काव्यों के अतिरिक्त जैन परम्परा में संस्कृत में अन्य अनेक चरितकाव्य लिखे गए, जिनमें संवत् 1216 में नेमिचन्द्र रचित 'धर्मनाथचरित', गुणभद्रमुनि (12वीं शताब्दी ई.) रचित 'धन्यकुमार चरित' मुनिरवसूरि कृत अभय 'स्वामिन्नरित' ( 1195ई), देवप्रभसूरि ( 12 - 13वीं शताब्दी) कृत 'पाण्डवचरित' और 'मृगावतीचरित', जिनपाल उपाध्याय (13वीं शताब्दी) कृत 'सनत्कुमारचरित', भाणिक्यचन्द्रसूरि त्रिरचित 'पार्श्वनाथचरित' (1229ई.) तथा 'शान्तिनाथ वरित', उदयप्रभसूरिविरचित 'संघमत्तिचरित' (1233ई.) अमरसूरि (13वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध) कृत 'चतुर्विंशतिजिनेन्द्र चरित' तथा 'अम्बरचरित', पूर्णचन्द्र सूरि कृत 'धन्यशालिभद्रचरित' (1228 ई.) तथा ' अतिमुक्तक चरित्र', वर्द्धमानमुरि कृत 'वासुपूज्यनति' (1282 ई.) अर्हदास कवि (तेरहवीं शताब्दी ई.) विरचित 'मुनि सुव्रतचरित', अजितप्रभसूरि कृत 'शान्तिनाथचरित' (1250ई.) लक्ष्मीतिलक गणि कृत ' प्रत्येकबुद्धचरित' ( 1254 ई.) चन्द्रतिलक उपाध्याय कृत 'अभयकुमारचरित' (1555 ई.) विनयचन्द्र सूरि (12291288 ई.) कृत 'मल्लिनाथचरित' तथा 'पार्श्वनाथचरित', सर्वानन्द सूरि (13वी शताब्दी) कृत 'पार्श्वनाथचरित', 'चन्द्रप्रभ चरित' तथा 'जगडुचरित', मुनिदेव सूरि कृत 'शान्तिनाथ चरित' (वि. सं. 1322 ) मानतुंगसूरि कृत श्रेयांसनाथचरित् (1275 ई.), प्रभाचन्द्र कृत 'प्रभावक चरित' ( 1277 ई.) जिनप्रभसूरिकृत ! kesexxxxsesysteries V
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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