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________________ ► కంట 3... 'उत्तरपुराण' में पार्श्वनाथ के वैराग्य का कारण अयोध्या नरेश जयसेन के दृत द्वारा कहे गए भ. ऋषभदेव के वृत्त को माना गया है, 73 किन्तु 'पासणाहचरित' में वैराग्य का कारण तापस द्वारा काटी गई लकड़ी में से निकले अर्द्धदग्ध नाग नागिनी के प्रसंग को माना गया है। 4 जबकि 'उत्तरपुराण' में यह घटना पार्श्वनाथ के सोलह वर्ष की अवस्था की बतायी गई है। 75 महापुरुषों के लिये वैराग्य हेतु तुच्छ कारण भी सबल ही होते हैं, फिर संसार की ऐसी बिडम्बना (नाग नागिनी का मरण) देखकर पार्श्व का तीस वर्ष तक घर में रहना उचित प्रतीत नहीं होता अतः रइधू ने यहाँ कथा नायक पार्श्वनाथ के चरित्र को दोषमुक्त दिखाने के लिए घटना तीस वर्ष में दिखाकर और तज्जन्य वैराग्य हुआ बताकर घटना का औचित्य बढ़ाया है। 4- 'उत्तरपुराण' में भगवान पार्श्व का आहार गुल्मखेट नगर के धन्य नामक राजा के द्वारा दिया गया बताया हैं 76 जबकि पासणाहचरिंड में हस्तिनापुर के वणिक् श्रेष्ठ वरदत्त के यहाँ बताया गया है। 77 5. 'पासणाहचरिउ' में पार्श्व द्वारा अर्ककीर्ति की कन्या प्रभावती के साथ विवाह हेतु स्वीकृति दी गई है 78 ( विवाह का उल्लेख नहीं) किन्तु उत्तरपुराण में इस तरह की कोई घटना वर्णित नहीं है। 6- उत्तरपुराण में विश्वभूति को पोदनपुर नगर निवासी वेद शास्त्र को जानने त्राला ब्राह्मण बताया गया है. 79 किन्तु पासणाहवरिउ में उसे राजा अरविन्द का मंत्री बताया गया है। 80 ( उत्तरपुराण में मंत्री नहीं बताया गया है) 7 'उत्तरपुराण" में मरुभूति की मृत्यु की घटना का संकेत "नीच तथा दुराचारी कमठ ने वसुन्धरी के निमित्त सदाचारी, सज्जनों के प्रिय मरुभूति को मार डाला 81 कहकर किया गया है, जबकि "पासणाहचरिउ " में उक्त " 73 उत्तरपुराण 73/120-130 74 र53: पास. 3/12 75 उत्तरपुराण 73/95-103 76 उत्तर पुराण 73/132 133 77 रइधूः पास 4/3 78 वहीं 3/11 79 उत्तरपुराण 73/8 80 रधूः पास 6/2 81 उत्तरपुराण 73/11 772 Sesshe
SR No.090348
Book TitleParshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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