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________________ पार्श्वनाश्वचरित भट्टारक सकलकीर्ति ने पार्श्वनाथ चरित को महाकाव्य के समान २३ सर्गों में पूर्ण किया है। इन सों में भगवान पार्श्वनाथ के जीवन पर काव्यात्मक शैली में विस्तृत प्रकाश डाला गया है। चरित के प्रथम १० सर्गों में पूर्वमवों का वर्णन, ११ वें से ९८ वे तक पार्श्वनाथ के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक का वर्णन तथा १९ वें से २३ वें सर्ग तक उनके उपदेशों एवं निर्वाण गमन का वर्णन किया गया है। कवि ने अन्य के प्रारम्भ में सर्वप्रथम २४ तीर्थङ्करों की वंदना की है। उनके पश्चात् गौतमादि गणधरों को स्मरण करते हुए-आचार्य, उपाध्याय एवं सर्वसाधुओं को उनके गुणों का वर्णन करते हुए नमस्कार किया है । इसके पश्चात् आचार्य कुन्दकुन्द, अकलंकदेव, आचार्य समन्तभद्र एवं जिनसेनाचार्य को नमस्कार किया गया है। यह सब मंगलाचरण प्रथम ३९ छन्दों में पूर्ण होता है। इसके पश्चात् कथा प्रारम्भ होती है। सार्श्वनाथ की कथा वस्तु आ० गुणभद्र के उत्तरपुराण पर आधारित है। भट्टारक सकलकीर्ति ने उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया । किन्तु फिर भी उसके प्रस्तुतीकरण में उनकी स्वयं की शैली के दर्शन होते हैं। किस घटना का विस्तृत वर्णन करना और किस घटना का सामान्य वर्णन करके आगे बढ़ जाना यह उनके लिये अत्यधिक सरल था । पार्श्वनाथ चरित में पार्श्वनाथ एवं कमठ के दश भवों की कहानी है जिसका चित्र निम्न प्रकार हैपिता का नाम माता का नाम पार्श्वनाथ का नाम कर्मठ का नाम पापर्व की मृत्यु का कारण पहला भय विश्वभूति अनुन्थरों मरुभूमि कमठ कमठ द्वारा शिला गिराने से दूसरा भव - .. वघोष हस्ति कुक्कट सर्प सर्प द्वारा उस लिये जाने के कारण तीसरा भव - सहस्त्रार कल्प धूमप्रभ नरक चतुर्थ भव विद्युत्पति विद्युत्माला अग्निवेग ( स्वर्ग) अजगर अजगर के निगलने से। पंचप भव - - अच्युत स्वर्ग छठवाँ नरक - ( विद्युत्प्रभदेव ) षष्ठ भव बज्रवीर्य विजया वज्रनाभि चक्रवर्ति भील कुरंग भील के बाण से सप्तम भव मध्यम अवेयक सप्तम नरक अष्टम भव बज्रबाहु प्रभंकरी आनन्द मंडलेश्वर सिंह सिंह के खा जानेसे नवम भव आनत कल्प दशम भव विश्वमेन ब्राह्मी पार्श्वनाथ ज्योतिर्लोक निर्वाण में नीच देव - - नरक
SR No.090346
Book TitleParshvanath Charitam
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorPannalal Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages328
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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