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________________ : ३२८ पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्त्तृत्व अपनी योजना पूरी नहीं कर सके पर वह जिस रूप में है, उस रूप में जिन - अध्यात्म पर इतना विशद, प्रांजल, सुस्पष्ट और मौलिक गद्य-ग्रन्थ लोकभाषा में दूसरा नहीं मिलता। उनका 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' वस्तुतः श्रात्मवाद का प्रतिष्ठापक, वीतराग-विज्ञान और प्राध्यात्मिक चिकित्सा का शास्त्र है । श्राध्यात्मिकता उनके लिए अनुभूतिमूलक चिंतन है । लोकभाषा काव्यशैली में 'रामचरित मानस' लिख कर रामभक्ति के अनुभूतिमूलक महाकवि के रूप में महाकवि तुलसीदास ने जो काम किया, वही काम उनसे दो सौ वर्ष बाद गद्य में जिन अध्यात्म को लेकर पंडित टोडरमल ने किया । इसीलिए उन्हें 'आचार्यकल्प' कहा गया | आध्यात्मिक लेखक होते हुए भी उनकी शैली दृष्टान्त-प्रतिदृष्टान्त बहुला प्रश्नोत्तर शैली है, जिसमें उनका व्यक्तित्व झलक उठा । उसमें लोक-जीवन शैली और मनोविज्ञान का सुन्दर समन्वय हैं । सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रश्नोत्तर शैली में प्राश्निक और उत्तरदाता भी वही हैं, इससे उसमें रोचक प्रात्मीयता है। मूलभाषा ब्रज होते हुए भी उसमें खड़ी बोली का खड़ापन भी है, साथ ही उसमें स्थानीय रंगत भी है । श्राध्यात्मिक चिंतन की ऐसी अनुभूतिमूलक सहज लोकाभिव्यक्ति, वह भी गद्य में, पंडितजी का बहुत बड़ा प्रदेय है । आध्यात्मिक चितन की अभिव्यक्ति के लिए गद्य का प्रवर्तक, व्यवहार और निश्चय, तथा प्रवृत्ति और निवृत्ति का सन्तुलनकर्ता, धार्मिक आडम्बर और साम्प्रदायिक कट्टरतानों की तर्क से धज्जियाँ उड़ा देने वाला निस्पृही और आत्मनिष्ठ गद्यकार इसके पूर्व हिन्दी में नहीं हुआ । उनका गद्य लोकाभिव्यक्ति और ग्रात्माभिव्यक्ति का सुन्दर समन्वय है । दार्शनिक चिंतन की ऐसी सहज गद्यात्मक अभिव्यक्ति, जिसमें गद्यकार का व्यक्तित्व खुलकर झलक उठे, इसके पूर्व विरल है ।
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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