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(३५) दा
१. दीजिए
३. देते हैं
४. देते भये (३६) सेव १. सेवे है
२. सेवेंगे (३७) धात घात (३८) चल चाल (३६) जीव जीवैगा (४०) बखान बखानिए (४१) अनुसर अनुसरै है (४२) 'चुनना चुने है
पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व कथादिक सुनें पापत उरें हैं। दान दीजिए। अधर्मी को दण्ड वे हैं। धर्मोपदेश देते हैं। दिव्यध्वनि करि उपदेश देते भये। उत्तम जीव सेचे हैं। विषयादिक सेवेंगे। जीव के स्वभाव कों घात । हाल चालै 1 यह जिवाया जीवंगा नाहीं। ग्रान को विधान न बखानिए । जिन महिमा अनुसरं है। तानें ग्रंथ गुंथने कौं भले वर्ण चुने हैं। बह शक्ति तो ज्ञानदर्शन बधे बधै। श्रीगुरु तो परिणाम सुधारने के अस्थि बाह्य क्रियानिकों उपदेश हैं। इहाँ बौऊ पूछ कि। नाना विध भाषा रूप होय विस्तरे हैं। शास्त्रनिको पाप पड़े है। इन्द्रियसुख को कारणभूत सामग्री मिल है। सामग्री को मिलावै । नाम धरचो तिन हर्षित होय । बीतराग तत्त्वज्ञान कों पोषते अर्थमि कौं धरेंगे।
(४३) बध (बढ़ना) बधै (४४) उपदेश उपदेश है
(४५) पूछ पुच्छ {४६) विस्तर विस्तरे है
(४७) पढ़ (४८} मिल
पढ़े है १. मिले है
(४६) घर
२. मिलावै १. घरयो २. धरेंगे