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________________ ૨૪ (२) निरूपण है (३) धार (४) साध (५) मान १. धार है २. वारौ १. साधे है २. सधै है १. माने है २. मानेंगे (६) परिणय परिगए है (७) परिणम परिणम है (= ) प्रवतं प्रवर्त्ते है भास है ( 8 ) भास (१०) प्रतिभास प्रतिभासं है (११) बस बसे है (१२) स्पर्श स्पर्श (१३) अवलोक श्रवलोकं है (१४) दीस दीसे (१५) लिख लिखिए है (१६) सुन १. सुने हैं २. सुनिए है ३. सुनूँ (१७) विचार विचारिये है (१८) ध्या १. ध्याइये है २. ध्यावे है (१६) अवलोक अवलोकिए है पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तुरब स्वण्य मिळलिए है । सामर्थ्य को धार हैं। ते इस भाषा टीका ते अर्थ धारों । जे ग्रामस्वरूप को साधें हैं । स्वयमेव ही सधै है | अपने माने है । ऐसें तो मानेंगे । शान्त रसरूप परिरगए हैं । दिव्यध्वनि रूप परिराम है । परम्परा प्रवर्तें हैं । प्रधानता मास है । तिनकें स्वभाव ज्ञान विषै प्रतिभास है । वनखंडादि विष बसे हैं । मैं सर्व को स्पर्शं । सामान्यपर्ने प्रवलोकं है । औरनिकों वीसे यहु तपस्वी है । प्राकृत संस्कृत पद लिखिए हैं। कई सुने हैं। बहुत कठिनता सुनिए है । सर्व को सुनूँ । अरहंतन का स्वरूप विचारिये है । अत्र सिद्धनि का स्वरूप ध्याइये है । अपने स्वरूप को ध्याये है । अब आचार्य उपाध्याय साधुनि का स्वरूप श्रवलोकिए हैं । -
SR No.090341
Book TitlePandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages395
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Story
File Size7 MB
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