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माहाकद सिंह विरइर पज्जष्णचरिउ
विषय-सूची (प्रस्तावना) 1. अप्रकाशित पज्जुण्णचरिउ की हस्तलिखित प्रतियों का परिचय
अ, प्रति परिचय, अ. प्रति की विशेषताएँ
ब. प्रति परिचय, ब. प्रति की विशेषताएँ : ग्रन्थ-वर 3. रचना-काल-निर्णय 4. मूल प्रणेता कौन? 5. भूल ग्रन्थकार परिचय 6. ग्रन्थ-रचना-स्थल 7. मूल ग्रन्थकार-निवासस्थल 8. गुरु-परम्परा एवं काल 9. समकालीन शासक 10. ग्रन्थोद्धारक महाकवि सिंह 11. अपभ्रंश-साहित्य की प्रवृत्तियाँ
1. प्रबन्ध-काव्य, 2. आध्यात्मिक-काव्य, 3. रोमाण्टिक काव्य, 4. बौद्ध-दोहा गान एवं चर्यापद,
शौर्य-वीर्य एवं प्रणय सम्बन्धी मुक्तक काव्य, 12. अपभ्रंश काव्यों की हिन्दी-काव्यों को देन
(1) कडवक-शैली, (2) अपभ्रंश की दूहा-पद्धति का हिन्दी-साहित्य में दोहा-पद्धति के रूप में विकास, (3) सन्धि-पद्धति, (4) हि-पी के रासा-साहित्य की प्रेरणा का प्रमुख स्रोत, (5) अपभ्रंश के समान हिन्दी में भी "काव्य" के स्थान पर "चरित" शब्द का प्रयोग, (6) अपभ्रंश की प्रेम-कथाओं का हिन्दी-साहित्य में प्रेमाख्यानक-काव्यों के रूप में विकास, (7) अपभ्रंश-गीतिकाव्यों का हिन्दी-गीतिकाव्यों पर प्रभाव, (8) अपभ्रंश के अन्त्यानुप्रास की धारा का हिन्दी-साहित्य में प्रवाह, (9) गीतों में नाम-संयोजन की पद्धति, (10) अनुरणनात्मक शब्दों का प्रयोग बहुल, (II) अपभ्रंश की शब्दावलि का हिन्दी-कवियों में प्राय: यथावत् प्रयोग, (12) वर्णन-प्रसंगों का प्रभाव, (13) हिन्दी की रीतिकालीन साहित्य शैलियों पर प्रभाव, (14) अपभ्रंश-गद्य का हिन्दी-गद्य पर प्रभाव, (15) हिन्दी-महाकाव्यों के शिल्प और स्थापत्य के मूल-स्रोत अपभ्रंश महाकाव्यों में उपलब्ध,
(16) कथानक रूढ़ियाँ 13. पन्जुण्णचरिउ :
(1) सोत, परम्परा एवं विकास (2) विषयवस्तु (3) पन्जुण्णचरिउ एवं अन्य प्रद्युम्न-चरितों में विवेचित प्रद्युम्न-चरित के साम्य-वैषम्प
का संक्षिप्त तुलनात्मक मानचित्र (दृष्टव्य-परिशिष्ट सं० 1)।