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________________ ३ . 368] महाकद सिह बिरहउ पज्जुण्णचरिउ वेणीदंडु वेयालु वोम वित्रुप्प संकु वाहिउ हाँका 11/6/4 घाही अश्वशाला 10/18/12 वाहेण . ब्याध 2/2/6 विउयरु - वृकोदर अर्थात् भीम 13/14/5 विउलागार - विपुलाचल पर्दत 1/6/3 विउलवण . विपुलवन 8/14/16 बिंजण - व्यञ्जन; पकवान 3/9/6 बिग्गुत्ता - नकटा 12/12/2 विजयसंख - विजयशंख नामका शंख 8/12/8 विज्जउ - विद्याएँ 8/5/13 विजउरिया - बिजुरिया नीबू 10/6/6 विज्जवेउ - विद्युतवेग विद्याधर 14/8/6 बिज्जामउ - विद्यामय 8/17/10 विठ्ठ - विष्णु 2:10/10 - राहु ग्रह 4/14/11 विणाण ___ - विज्ञान 10/2/3 विण्णाण - विज्ञान 4/14/14 विण्णि - दो 10/20/4 विपणिय - व्यापार वाणिज्य 11/11/12 विमल .. विमलनाथ तीर्थकर 15/6/15 विमलवाहण - विमलवाहन मुनि 7/4/3 विमाण - विमान 10/5/1 वियंगइ - प्रियंगु वृक्ष 6/1713 वियवखणा - विचक्षणा रानी 97/1 वियवासिय - विकसित 15/25/18 विल एक वाद्य 6/10/2 विलक्ख - व्याकुल 13/8/11 विवणिय बाजार 11/11/12 व्युत्सर्ग 5/5/5 विसल्ला लक्ष्मण की माँ 6/21:10 विसवह - जल के बाहक अर्थात् मेघ 15/8/5 विसवहपुर - मेघकूटपुर नगर 14/8/3 बिहप्पड़ - वृहस्पति ग्रह 1/15/3 विहडप्फड - हडबड़ाकर 14/2417 विहुर - विधुर 9/191 - एक ठाद्य 85/13 दीयाइंदु - द्वितीया का चन्द्र 4/4/12 चुक्कर - गुर्राना ।1:5/4 वेइल्ल - बेला पुष्प 3/1/12 मफलर या कान ढंकने वाला वस्त्र 15:4/13 येय - वेद 4/14/14 वेयढ चैताढय पर्वत 2:3/6 वेयसत्य वेद-शास्त्र 4/14/12 वेयालिय - बैतालिक 13/168 - बैताल नारद 1/16/10 बेलाउल - उत्सवगृह 7149 वेल्लहल्ल - सुन्दर लता 3/9/9 वेसरा खच्चर, गधा 10/710 वोड - बोड देश 14:5/5 - व्योम, आकाश 3/14/11 बोममंडल - आकाश-मंडल 3/14/16 वोल्ल - नोलना 91/18 - कोटी: कील 2:15/6 संख - शंख 11/5/12 संगीय - संगीत 1/14/6 संघार - संहार 15/2072 संचहि - मंच 6/3/10 संजई - आर्यिका 15113.9 संजायउ - . उत्पन्न हुआ 13/17/11 संजोइ - एकत्रित 6/9/8 संझाचरण । सन्ध्याचरण, सन्ध्यावन्दन ।।/17/8 - शान्ति 2:1114 - शान्तिनाथ तीर्थकर 15/6/8 संदाणु - रथ 2:13/8 संभर साम्भर देश 14/5/8 संभु ईशान दिया 15/7/2 संवर सम्हाला 9/2/8 कालसंवर राजा 13/1737 संयुकुमार - शम्बुकमार 14/15/13 संहार - संहार, नाश 15/20/2 सकलंक - कलंक सहित 2/10/1 सक्क - शक्र. इन्द्र 2/14/14 सक्कर - पाकर चीनी 17/11 सम्म - सर्ग वृक्ष 10/6/4 संति संति विवसम्म संवर वीणा
SR No.090322
Book TitlePajjunnchariu
Original Sutra AuthorSinh Mahakavi
AuthorVidyavati Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages512
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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