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पसलस्पिशितिः सम्बगरमोमचारिष -11, 320 | सबिनुदपरमात्म १.२०, 567 | सौमागीपतिकामिनी- 1101,186 सम्पगम्योपचारित्र -२,398 | संसारपोरधर्मेण -१४, 354 सौभाग्यशौर्षसुल- -17, 242 सम्यग्योधविशुश्वारिणि १५-४, 926 | संसारसागर- 14 लोग मानिसन्मयोग- .२.,679 सयलसुरासुरमणि ११-२, 688 | संसारखनुयोग पुष २१, 921 | स्थिर सदापि सर्मदा 1,278 सपो हारलता मवरण- १-१९1, 191 / संसारातपरसमान १-१२, 536 | सिया मा मुनयो भवन्तु २३.१,908 सर्वहः कुरुते परं . ८-10,495 | संसारेडापनादबी- 12%, 120 | | विवरपि मत मा २५, 35 सर्वत्र व्युतकर्म- ८-२१, 511 | संसारे भ्रमतबिर १९,9 स्पृहा पत्र मही सदति १.६९, 69 सर्वनोद्गतशोकवाष ३-३५, 286 | संसारो गहुदुःखदः ९-१३, 527 : स्पृहा मोशेऽपि मोहोरया -५५, 360 सर्वभावबिलये विभा- .., 551 | संहारोगसमीरसंहति १-१९३, 193 मरमपिशाव येषा १.५०, 57 सर्वमिभिरसंसारैः १३, 370 | संहतेषु समनोऽनिलेषु ...", 664 | सालादारतगर्भिता 6-10, 499 सर्वविद्वीतरागोकरे -10,917 | साक्षमाममिदं मनो -11, 597 स्मकर्मम्मानेण स्फुरित ५-१९, 301 समिमणिमादिपक 11, 550 1 साक्षादपुष्पचार एव 11, 851 ! स्वजनो वा पदो वापि 4-14,444 सर्वागमाषगमतः २५-4,871 साक्षाम्मनोवचमकाय 11, 209 स्वपरविभागावगने -१,639 सर्षाणि पस्सनालि दुर्गति 1,83 | साङ्गोपाङ्गमपि एवं 16,503 सपरहितमेव मुनिभिः १५1,91 सर्वान् गुणानिह पात्र २-11,297 | साधुलक्ष्यमनवाप्प १०-11, 558 | स्वमे स्वादतिचारिता 111,682 समें जीवदयापाराः १९,435 | सामाई सुरसुन्दरीमिः 1-५, 834 स्वपमुवा पेम समुच १५-1,807 सर्वेषामपि कर्मणाम् 18, 590 | सानुधानविदे 11-1९, 616 वर्गाचामसिनोऽपि 10, 11 सर्वेषामभयं प्रमुख- 11, 469 ! सामायिक जायेत ६.९, 405 | वसुख्पपसि दीम्सम्पत्यु -10,289 सर्वशीर्थजाहरपि २५-०, 929 | साम्यमेक पर कार्य ४-६५973 | संपुर प्रविहाय विण -१९: 39 सर्वोऽप्यत्र मुर्मुहुः ९-१०, 524 | सार्म निःशेषशायाणां -44,875 सानुभूत्यैव पगम्ब २९.1,884 सो मामति सोल्पमेव 2,466 | साम्प शरममित्याः १९, 376 | स्वान्त बातमशेष -१९, 686 स सर्वविपश्यति वेति १५.१,784 साम्य लोधनिर्माण -40,374 | खेपाहारविहार -१, 467 सहा सरीरं सुह पहु ११-१२, 728j साम्य स्वास्यं समाधिब-१४,371 संष्ठ कमरापि 100, 187 | सिबज्योतिरतीब निर्मकार,497न्ति म्पोम स मुहिना १-५५, 295 संपचारुकतः प्रिया- १-१५, 287 | सिवामा पामः परं ४-२५, 510 इन्ति स्थावरदेहिनः -६, 464 संपत दिमयं यदि १२-१२, 671 | सिदो रोपमितिः ८-५, 490 | हरति हरतु र २.७, 872 संपूर्णदेशमेदाम्या - ६-४, 400 | सुस पुष बहुमोह 100, 587 | हियमस्थमाणसिहि- १५.14, 699 संप्रस्यन्त्र कलौ काले -1,402 | सुप्त एष बहुमोहनिया :१-४१, 599 | हिंसा प्राणि कलम १.५५, 52 संप्रत्यपि प्रवतेत धर्मखनव ६-५, 401 | सुहमो सि सण १५४, 735 . हिंसोज्झित एकाकी 11-14, 613 संप्रस्यस्ति न केवली -11,68 | सुखसुखी स्पावहितः १६-१९, 825 | हीनं संहनने परीषद- २३.६, 900 संप्राक्षेत्र भषे कथं 2, 462 स्रुमस्वादशुदर्शिनो -1, 486 | इपयमुवि रके 11,73 संबरऽपि सति त्याज्यौ ४-२९, 386 सूनोमतेरपि दिनं १-२९, 227 | इदि यत्तदादि बहिः १४९, 89 संयोगेन यदायात ४.२७, 334 | सूरेः पाजनन्दिनः ९-११, 547 : रेवः किमु जीव 11४५, 145 संयोगो यदि विप्रयोग ३-५२, 304 | सैवैका सुगतिम्रदेव २८, 513 | इयं हि कर्म रागावि ५-७५, 382 सविििलना गलिये 1180,637 | सो मोहयेणरहिमो १५-१५,718 | हेयोपापविभाग- 11-14,640