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विषयानुक्रमणिका
अध्याय १ पद्मपरित का परिचय
१-३४ पद्मचरित के कर्ता-(आचार्य रविषेण) १, पद्मचरित का समय १, पद्मचरित की कथावस्तु का आधार १, पद्मचरित की कथावस्तु ५, कथानक रूढ़ियों १०, पथचरित की भाषा और शैली १४, पद्मचरित : एक महाकाव्य २४, जनकथा साहित्य और पामचरित २८, पनवरित में संकेतित ब्राह्मण धर्म ३० ।
आरय २
सामाजिक व्यवस्था
३५-११३ ऐतिहासिक विकास ३५, परिवार. ३५, नारी की स्थिति ३७, विवाह प्रथा ३८, स्नान ३९, स्नान में प्रयुक्त पात्र ३९, भोजन पान ४०, अन्न भोजन ४०, फलभोजन ४१, पक्वान्न भोजन ४२, शाक भोजन ४३, पेयपदार्थ-मदिरा ४३, मधु ४४, दूध एवं दूध के बने पदार्थ ४४, इक्षरस ४४, पुष्ट ४५, भोजन सम्बन्धी पदार्थों के प्रकार-भक्ष्य ४५, भोज्य ४५, पेय ४५, लेस ४५, वृष्य ४५, भोजनशाला में प्रयुक्त पात्र ४५, विद्या ४६, विद्या प्राप्ति के लिए आवश्यक बातें ४६, गुरु का महत्व ४६, विद्या प्राप्ति का स्थान ४७, लिपि- अनमत्त ४७, विकृत ४७, सामयिक ४७, नैमित्तिक ४७, विद्या प्रदाता ४८, विद्याओं के प्रकार-व्याकरण विद्या ४८, गणित शास्त्र ४९, घमुर्वेद ४९, आरण्यक शास्त्र ४९, ज्योतिष विद्या ५०, वेद ५०, वेदान्त ५१, बौद्ध दर्शन ५१, निमित्त विद्या ५१, शकुन विद्या ५१, प्राणियों में शुभाशुभ सूचक दर्शन एवं क्रियाओं से प्राप्त शकुन ५२, प्राकृतिक तत्वों से प्राप्त शकुन ५४, शारीरिक लक्षणों से प्राप्त शकुन ५४, स्वप्नों से प्राप्त शकुन ५५, ग्रहोपग्रहों से प्राप्त शाकुन ५६, विविध णकुन ५६, शकुन का कारण ५६, अपशकुनों की निवृत्ति के उपाय ५७, मारोग्य-शास्त्र ५७, कामशास्त्र ५८, संस्कृत, प्राकृत, शौरसेनी आदि भाषा ५८, संगीत विद्या ५८, नृत्यविद्या ५८, काव्यशास्त्र ५८, अर्थशास्त्र ५९. नोतिशास्त्र ५९, नाट्य-शास्त्र ५९, गान विद्या ५९, गान के चार प्रकार ५९, मान की उत्पत्ति ५९, अश्वविद्या ५९, लोकशता ६., लोक के प्रकार ६०. मंत्र शक्ति से प्राप्त विद्यायें ६०, अन्य विद्यायें ६२, वर्ण व्यवस्था ६२, क्षत्रियादि त्रिवर्ण