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सामाजिक व्यवस्था : ३९
मिता द्वारा कन्या के लिए विशेष वर का निर्धारण हो जाने पर भी किसी वियोष कारणवश कोई आवश्यक शर्त रख दी आती थी कि ओ उस शर्त को पूरा करेगा उसे ही कन्या दी जायगी । उदाहरणस्वरूप विधाघरों ने राजा जनक के सामने यह शर्त रखी कि बजावत धनुष को पढ़ाफर हो राम सीता को ग्रहण कर सकते ६५ र म श को राजा
उन्का सीता के साथ विवाह होता है। कभी-कभी घर की धीरता, धीरता तथा कुल और शील का परिचय प्राप्त करने के लिए युद्ध की आवश्यकता पड़ती थी 14 वर में जितने गुण होने पाहिए उनमें शुद्धवंश में जन्म लेना प्रमुख माना जाता था। कुल, शील, धन, रूप, समानता, बल, अवस्था, देश और विद्यागम ये नौ वर के गुण कहे गये है। उनमें भी कुल को श्रेष्ठ माना गया है । कुल मामका प्रथम गुण जिस पर में न हो उसे कन्या नहीं दी जाती थी ।१९
स्नान-पद्मचरित से उस समय के राजवर्ग को ही स्नानविधि का विशेष रूप से पता चलता है। सामान्य लोगों की स्नानविषि क्या थी इसके विषय में यहाँ कुछ भी उल्लेख नहीं मिलता है। स्नान करने से पूर्व सुगन्धित हितकारी तथा मनोहरवर्ण वाले तेल का मर्दन किया जाता था, पश्चात् प्राण और शरीर के अनुकूल पदार्थों का उर्तन ( उपटन ) किया जाता था।४० उद्वर्तन के बाद फैलती हई कान्ति से युक्त उत्तम मासन पर स्नान करने वाले व्यक्ति पूर्व दिया की ओर मुख कर विराजमान होता था ।' पश्चात् स्नान की विधि प्रारम्भ होती थी। उस समय मन को हरण करने वाले लपा सब प्रकार की साज सामग्री से युक्त बाजे बजाये जाते थे ।४२ स्नान कराने का कार्य प्रायः नय यौवनवती स्त्रिया करती थीं । ४३ राज्याभिषेक के समय उपस्थित लोग राणा की अयजयकार करते थे।४४ राजा के अभिषेक के बाद पटरानी का भी अभिषेक होता था।
स्नान में प्रयुक्त पात्र-स्नान कराने के लिए चांदी, स्वर्ण, मरकत
३५. पद्म० २८११७१ । ३७. वही, ६४९। ३९. वही, १०१।१६। ४१. वही, ७२।१६, ८०७३ । ४५. वही, ७२।१३, १४ । ४५. वही, ८८।३३। ४७, वही, ७२।१३।
३६. पदभः १.१०६.। ३८. वही, १०१।१४, १५ ॥ ४०. वही, ८०७२। ४२. वही, ८०७४। ४४. वही, ८८३२। ४६. वही, ७२।१२।