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२१६ : पप्रचरित और उसमें प्रतिपादित संस्कृति
नागपाश -किसी को बांधने वाला विद्यानिमित अस्त्र । खड़ग१८-तलवार । लोहमुद्गर ४१-लोहे का मुद्गर । ककच-अत्यन्त तीक्ष्ण घार बाली करोंत । सूर्यावर्त ७१–सूर्यावर्त नामका एक धनुष । लांगलरत्न ७२, हल । सिद्धार्थ महास्त्र -विघ्नकारी अस्थ को नष्ट करने वाला महास्त्र । उरगास्त्र'७४-विषरूपी अग्नि के कणों से दुःसह अस्त्र 1 विघ्नविनायक'७५ अस्त्र-जिसका दूर करना अशक्य होता था ऐसा
अस्त्र।
बहुरूपा -एक विशेष प्रकार की विद्या, जिसके द्वारा अनेक रूप बनाये जा सकते थे।
माहेन्द्रास्त्र५७७-आकाश की व्याप्त करने वाला एक अस्त्र जो समीरास्त्र से नष्ट होता था।
वारुणास्त्र'७८-भाग्नेस अस्त्र का निराकरण करने वाला अस्त्र । इससे दिशायें प्रकापारहित हो जाती थीं । १७९
दन्दशूक अस्त्र -विद्यानिमित ऐसा अस्त्र जिसमें फनों का समूह उठता था। इसे पन्नगास्त्र भी कहते थे । १८१
ताय अस्त्र -गरुड़ माण । वज्रावर्त ४३...-एक प्रकार का धनुष ।
लांगूल १८४-विद्यानिमित एक प्रकार की पाश जिससे किसी को पकड़कर खींचा जा सके।
१६७. पम० ८१३५ । १६९. वही, ७२१७४ । १७१. वही, १०३१२ । १७३. वही, ७५।१९ । १७५. वही, ७४।१११। १७७. वहीं, ७४११००। १७९. वही, ६०९३ । १८१. वही, ७४।१०९ । १८३. वही, ७५।५५ ।
१६८, पद्म १७३। १७०, वही, ७२१७५ । १७२, वही, १०३।१३। १७४. वही, ७४।११० । १७६. वही, ६७१६ । १७८. वही, ७४.१०३ । १८०, वही, ७४।१०८। १८२. वही, ७४।१०९ १८४, वही, ७५।५७, १९५४ ।