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________________ १२७ चमू - तीन पृतनाओं की एक चमू होती है । १२३ अनीकिनी - तीन सू की एक अनोकिमी होती है ।' अक्षौहिणी - अनीकिनी की गणना के अनुसार दस अनीकिनी की एक बहिणी होती है ।' इस प्रकार अक्षोहिणी में रथ इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर, हाथी इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर पदाति एक लाख नौ हजार तीन सौ पचास, घोड़े पंसठ हजार छह सौ चौदह होते हैं । ૧૮ १२९ इन सेनाओं के अतिरिक्त पद्मचरित में विद्याघर - सेना तथा पालकी सेना (शिविका सेना) के भी उल्लेख मिलते हैं । हस्तिसेना' १३० - कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार अपनी सेना के आगे चलना, नये मार्ग, निवासस्थान तथा बाटनिर्माण के कार्य में सहायता देना, बाहु की तरह आगे बढ़कर शत्रुसेना को खदेड़ना, नदी आदि के जल का पता लगाने, पार करने या उतारने, विषम स्थान (तृणों तथा झाड़ियों से शंकेस्थान और शत्रुसेना के जमघट के संकटमय शिविर) में घुसना शत्रुशिविर में आग लगाना और अपने शिविर में लगी आग बुझाना, केवल हस्तिसेना से ही विजय प्राप्त करना, छितराई हुई अपनी सेना का एकत्रीकरण, संवद्ध शत्रु सेना को छिन्न-भिन्न करना, अपने को विपत्ति से बचाना, शत्रुसेना का मर्दन, भीषण आकार दिलाकर शत्रु को भयभीत कर देगा, मदधारा का दर्शन कराकर ही पत्र के हृदय में भय संचार करना, अपनी सेना का महत्व प्रदर्शन, शत्रुसेना को पकड़ना, अपनी सेना को शत्रु के हाथ से छुड़ाना, शत्रु के प्राकार, गोपुर, अट्टालक आदि का भंजन और शत्रु के कोश तथा वाहन का अपहरण ये सब काम तिसेना से हो सम्पन्न होते है । अश्वसेना १५२ पद्मचरित में घोड़ों की पीठ पर सवार हाथों में तलवार, बरही भाला लिये और कवच से आच्छादित वक्षःस्थल वाले योद्धाओं का उल्लेख आता है । ११३ घोड़ों की विशेषतानों में चपळता, ' १३४ १३५ चतुरता तथा १३१ १३५ ग प्रमुख मानी गई हैं। राजनैतिक जीवन : २१३ १२६. पद्म०५६।८ । १२८. वही, ५६९ । १३०. बल्ली ५७६६ ॥ १३१. कोटिलीय अर्थशास्त्रम् १०१४ | १३२. पद्म० ५७६७ । १३४. वहीं, ५०१२० । १३६. वही, १०२ १९५ १२७. पद्म० ५६८ । १२९. वही ५६।१०-१२ । १३३. पद्म० ७४ ४२ । १३५. वहीं, ४५ ९३ ।
SR No.090316
Book TitlePadmcharita me Pratipadit Bharatiya Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Culture
File Size6 MB
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