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तेओश्रीनी हयातिमां ने स्वर्गगमन बाद जे प्रन्यो प्रकाशित शया तेनी माटी नीचे प्रमाणे छे
आगमवांचनमीमांसा स्वोपज्ञ टीका युक्त, प्रश्नोत्तररत्नाकर, पर्युपण कल्पमाहात्म्यम्, पू. पंन्यास श्री दयाविमलजी अष्टकर स्वोपज्ञ टीका युक्त, संस्कृन चैत्यवंदन स्त्रोपज्ञ टीकायुक्त, श्री संमानाथ स्तोत्र उपर टीका, गणघरवाद, ज्ञानपंचमी कथा पद्य, पोषदशमी कथा गद्य, मेस्त्रयोदशी कथा पच, रोहिणी पर्व कथा पद्य, श्री ज्ञानविमलमूरिचरित्र पद्य, लघु चैत्यवंदन चोवीसी पद्य, जैनगुणस्तोत्र मुक्तावली पन, श्री महावीर अष्टक, श्री मणिभद्र यक्ष अष्टक, श्री सरस्वती अष्टक, श्रीहेमचंद्ररि अष्टक, संस्कृतमा पर्वतिथिनी स्तुतिओ, पुनः गुर्जरगिरामा स्तवनो, चैत्यवंदनो, गहुँलीसंग्रह इत्यादि.
तेओश्रीना अप्रसिद्ध अपूर्ण ग्रन्थोनी यादी नीचे प्रमाणे
श्रीकल्पसूत्रनी कल्पमुक्तावली नामनी टीका, उपदेशप्रदीप पद्यात्मक, पद्यात्मक तत्त्वबोधतरंगिणी, अशोकरोहिणी चरित्र, श्रीपालचरित्र आदि.
ते ग्रन्थोमाथी प्रथम ग्रन्थ तरीके “पद्यात्मकोपरेशप्रदीप " नामनो ग्रन्ध तेओश्रीना विद्वान् शिष्यरत्न पूज्यपाद् जैनागमपरिशीलनाली जैनशासनप्रभावक व्याख्यानवाचस्पति कविदिवाकर आबालब्रह्मचारी महान् तपस्वी अनुयोगाचार्य श्रीमत्पन्यामप्रवर श्री रंगविमलजी महाराज साहेबजी गणिवर्यना अति परिश्रमयी तेमज उपदेशथी आ ग्रन्थने ड्राइंगपेपरमां ने सारा टाइपमा प्रकाशित कराव्यो छे तो आ ग्रन्थने सहृदयी विद्वद्वर्ग स्वीकार करी तेनो लाम उठानचे एटले आ प्रकाशन | सफल थयु मानीश.