SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सावना ___ अह प्रत्येक विषयको अन्तिम व्यवस्था अनेकान्तका आश्रय लेकर करताहै । तस्वार्थ सूत्र की समस्त टोका राजवात्तिक प्रधान टीका है । या श्रीमान् पं० सुखलालजीके शब्दोंम यों कह सकते हैं कि "राजवानिक गद्य, नरल और विस्तृत होनेसे तत्वार्थ के सपूर्ण टीका ग्राधाकी गरज अकेला ही पूरी करता है ।" वस्तुतः जनदर्शनका बहुविध एवं प्रामाणिक अभ्यास करनेक लिए केवल राजवात्तिकका अध्ययन पर्याप्त है। न्यायदोषिकाकारने न्या. दी. पृ०३१ और ३५ पर राजवात्तिकका तथा १०६ और ३२ पर उनके भाष्यका जुदा जुदा नामोल्लेख करके कुछ वाक्य उद्धृन किये हैं। न्यायविनिश्चय-यह प्रकलङ्कदेवकी उपलब्ध दार्शनिक कृतियोमें अन्यतम कृति है। इसमें तीन प्रस्ताव (परिच्छेद) है और तीनों प्रस्तावोंकी मिलाकर कुल ४८० कारिकाएँ हैं। पहला प्रत्यक्ष प्रस्ताव है जिसमें दर्शनान्तरीय प्रत्यक्षलक्षणोंकी पालोचनाके साथ अनसम्मत प्रत्यक्ष-लक्षणका निरूपण किया गया है और प्रासगिक कतिपय दूसरे विषयोंका भी विवेचन किया गया है। दूसरे अनुमान प्रस्ताव में अनुमानका लक्षण साधन, साधनाभास, साध्य, माझ्याभास आदि पनुमानके परिकरका विवेचन है और तीसरे प्रस्तावमें प्रवचनका स्वरूप प्रादिका विशिष्ट निश्चय किया गया है। इस तरह इस न्यायविनिम्नयम जनन्यायकी रूपरेखा बांधकर उसकी प्रस्थापना की गई है। यह ग्रन्थ भी अकलदेवके दूसरे ग्रंथोंवोही तरह दुर्बोच और गम्भीर है। इसपर प्रा. स्पाद्वादविद्यापति वादिराजसूरिकी न्यायविनिश्चर्याववरण अथवा न्यायविनिश्चयालंकार नामकी वैदुष्यपूर्ण विशाल दी का है । प्रकलङ्कदेवको भी इसपर स्वोपज्ञ विवृत्ति होनेकी सम्भावना की जाती है, क्योंकि लघीयस्त्रय और प्रमाणसंग्रहपर भी उनकी स्वोपज्ञ विवृनियाँ है । तथा कतिपय वैसे उल्लेग्न भी मिलने है। न्यायविनिश्चय मूल प्रकलङ्कग्रन्थषयमें मुद्रित हो चुका है। वादिराज मूरिकृत टोका अभी प्रमुद्रित है। मा. पर्मभूषणने इस ग्रन्थके नामोल्लेखके साथ न्यायदीपिका प० २४ पर
SR No.090311
Book TitleNyayadipika
Original Sutra AuthorDharmbhushan Yati
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy