SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परमार्थ-प्रतिक्रमण अधिकार [ २०३ पर्यायकर्तृत्वविहीनोऽहम् । मनुष्यनामकर्मप्रायोग्य द्रव्यभावकर्माभावान्न मे मनुष्यपर्यायः शुद्धनिश्चयतो समस्तीति । निश्चयेन देवनामधेयाधारदेवपर्याययोग्यसुरससुगन्धस्वभावात्मकमुद्गलद्रव्यसम्बन्धाभावान में देवपर्यायः इति । चतुर्दशभेदभिन्नानि मार्गणास्थानानि तथाविधभेदविभिन्नानि जीवस्थानानि गुणस्थानानि वा शुद्धनिश्चयनयतः परमभावस्वभावस्य न विद्यन्ते । मनुष्यतिर्यकपर्यायफायवयःकृतविकारसमुपजनितबालयौवनस्थविरवृद्धावस्थाद्यनेकस्थूलकृशविविधभेदाः शुद्धनिश्चयनयाभिप्रायेण न मे सन्ति । सत्तावबोधपरमचंतन्यसुखानुभूतिनिरतविशिष्टात्मतत्त्वग्राहकशुद्ध द्रव्याथिकनयबलेन मे सकलमोहरागद्वषा न विद्यन्ते । सहनिश्चयनयतः सदा निरावरणात्मकस्य शुद्धावबोधरूपस्य सहजचिच्छक्तिमयस्य सहजक्स्फूर्तिपरिपूर्णमूर्तः स्वरूपाविचलस्थितिरूपसहजयथा रहित है । मनुप्यनामकर्म के योग्य द्रव्यकर्म और भाव कम के अभाव से शुद्धनिश्चयनय मे मेरे मनुष्यपर्याय नहीं है । निश्चयनय से देवनाम के लिए आधारभूत ऐसी देवपर्याय के योग्य मुरस और सुगन्धित म्वभाव वाले पुद्गलद्रव्य के सम्बन्ध का अभाव होने में में देवपर्याय नहीं है। चौदह भद सहित मागंणास्थान और उमीप्रकार-चौदह भेद सहित जोग समाम अथवा चौदह भेद महिन गुणस्थान शुद्धनिश्च यनय में परमभाव स्वभाव वाले ऐसे मुझ में नहीं हैं। मनुष्य और तिर्यचगाय के शरीर में उम्र के निमित्त से किये गये विकार रूप से उत्पन्न हुई बाल अवस्था, यौवन अवस्था, स्थविर अवस्था और वृद्धावस्था आदि तथा अनेक स्थूल और कृश से होने वाले विविध भेद, शुद्धनिश्चयनय के अभिप्राय से मुझमें नहीं है। सना, ज्ञान, परमचैतन्य और मुम्न की अनुभूति में लीन, विशिष्ट आन्मनत्व को ग्रहण करने वाला जो शुद्ध द्रव्याथिकानय है उस नय के बल से मेरे में सकल मोह, राग और द्वेष नहीं हैं । महज निश्चयनय से मदा निगवरणरूप, शुद्धनानम्वरूप, महजचैतन्यशक्तिमय, सहजदर्शन के स्फुरायमान से परिपूर्ण मूर्तिस्वरूप और स्वरूप में अविचल स्थिति
SR No.090308
Book TitleNiyamsar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages573
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy