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________________ २७९ नियमसार-भाभृतम् किंच-प्रत्याख्यान विना वैवात् क्षीणायुः स्याद्विराधकः । तदल्पकालमप्यल्पमप्यर्थ पृथुचंउधत ॥' प्रतिक्रमणप्रत्याख्यानयोः को विशेषः ? इति चेत्, कथ्यते, अतीतकालविषयातीचारशोधनं प्रतिक्रमणमप्रतीप्तभविष्यवर्तमानकालविषयातिचारनिहरणं प्रत्याख्यानमथवा व्रताद्यतिचारशोधनं प्रतिक्रमणमतीचारकारणसचित्तादिद्रव्यत्यागस्तपोनिमित्तं प्रासुकद्रव्यस्य च त्यागः प्रत्याख्यानम् । तात्पर्यमेतत्-ये जिनमुद्राधारिणो मुमुक्षवो व्यवहारप्रत्याख्यानावश्यकक्रियायां निष्पन्ना भूत्वा गिरिगहाकंदरादिषु निवसन्तः परमानंदसंपन्नं निविकार निरामयं निजशद्धात्मानं ध्यायन्ति, तेषामेव निश्चयप्रत्याख्यानं भवेदिति ज्ञास्था निज पढ़कर उपवास और प्रत्याख्यान को छोड़ते हैं। पुनः इसी लघ सिद्धभक्ति को पढ़कर भोजन के अन्त में प्रत्याख्यान ग्रहण किया जाता है । पुनः गुरु के पास आकर लघुसिद्ध योगिभक्ति पढ़कर प्रत्याख्यानादि ग्रहण करना चाहिये, अनंतर लघु आचार्यभक्ति पूर्वक आचार्य-वन्दना करनी चाहिये। ___क्योंकि प्रत्याख्यान के बिना यदि दैव से आयु खतम हो जाय तो यह अप्रत्याख्यान में मरने से विराधक हो जाता है । इसीलिये आहार के अनंतर तत्काल ही वहीं पर प्रत्याख्यान लेने का विधान है। अल्पकाल का भी किया गया त्याग चंड नाम के व्यक्ति के समान महान फलदायी हो जाता है। शंका-प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान में क्या अन्तर है ? समाधान--उसी को कहते हैं—अतीत काल विषयक अतिचारों का शोधन करना प्रतिक्रमण है और भूत, भविष्यत् तथा वर्तमान काल संबंधी अतीचारों को दूर करना प्रत्याख्यान है । अथवा व्रतादि में लगे अतीचारों का शोधन करना प्रतिक्रमण है और अतीचार में कारण ऐसे सचित्त आदि द्रव्यों का त्याग करना अथवा तप के लिये प्रासुक द्रव्य का भी त्याग करना प्रत्याख्यान है । तात्पर्य यह है-जो जिनमुद्राधारी मुमुक्षु प्रत्याख्यान नामक आवश्यक क्रिया में निष्पन्न होकर पर्वतों की गुफाओं, कंदराओं में निवास करते हुये परमानंदस्वरूप निर्विकार निरामय स्वस्थ निज शुद्धात्मा का ध्यान करते हैं, उनके ही १. अनगारधर्मामृप्त, अ. ९, श्लोक ३८ की टीका से ।
SR No.090307
Book TitleNiyamsara Prabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages609
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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