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________________ कौटुबिक मीटर की मरम स्मृति तथा अर्थशास्त्र दोनों में ही कुटुम्ब को समाज की इकाई बताया गया है । व्यक्ति ही समस्त कार्यों का कर्ता है और गृहस्थ जीवन पर ही समाज का सम्पूर्ण ढांचा आधारित है । अर्थशास्त्र तथा धर्मशास्त्र दोनों ही वैवाहिक सम्बन्धों को श्रेष्ठ मानते है । मानव जीवन के समस्त संस्कारों में पाणिग्रहण संस्कार को बहुत महत्त्व दिया गया है । आषार्य कौटिल्य का कथन है कि संसार के सारे व्यवहारों का आरम्भ विवाह के अन्तर्गत होता है। आचार्य सोमदेव ने विवाह योग्य कन्या को आयु १२ वर्ष तथा वर की आयु १६ वर्ष बतलायी है ( ३१,१) । अन्य शास्त्रकारों का भी इस सम्बन्ध में यही विचार है। आचार्य सोमदेव विवाह की परिभाषा इस प्रकार करते हैं-युक्तिपूर्वक वरणविधान से अग्नि, शिज, देवताओं की साक्षो के साथ पाणिग्रहण करना विवाह है ( ३१,३ )। आचार्य ने आठ प्रकार के ब्राह्म, आर्ष, प्राजापत्य, देव, आसुर, गान्धर्व, राक्षस तथा पैशाच-विवाहों का उल्लेख किया है (३१,४-१२)। प्रथम चार प्रकार के विवाह धर्मसम्मत तथा अन्तिम चार प्रकार के विवाह धर्मविषद्ध माने जाते थे ( ३१,१३ )। आचार्य ने कन्या के गुण-दोषों पर भी प्रकाश डाला है ( ३१,१७ )। नारी चरित्र का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण नारी चरित्र बड़ा गूढ़ है । उसे समझने में बुद्धिमान पुरुषों की मति भी विचलित हो जाती है । नारी चरित्र के गूछ रहस्यों पर लेखक ने अपूर्व प्रकाश डाला है । इस प्रसंग में आचार्य के प्रमुख सूत्र इस प्रकार है १. स्त्रियों में विश्वास मरणान्तक होता है । ६,४७)। २. स्त्री के वश में पड़ा हुआ पुरुष नदी के वेग में पड़े हुए वृक्ष के समान चिरकाल तक प्रसन्न नहीं रहता ( २४,४१) ३. कलत्र को मनुष्य के लिए निमा बेड़ियों के भी बन्धन कहा गया है (२७,१)। ४. जो स्त्री अंगों का आपण करती है तथा धन के कारण प्रणय करती है वह कुरिसत भार्या है ( २५,७)1 ५. वह सुखी है जिस के एक स्त्री है ( २७,३९) वेश्याओं को प्रकृति तथा उन से सावधान रहले के निर्देश प्रत्येक लेखक की रचना पर देश और काल की परिस्थितियों का प्रभाव अवश्य पड़ता है। अन्धकार के समय में इस देश में मणिकाओं का भी समाज में एक १. को० अर्थ, ३.२। विवाहपृषों म्यवहारः । २. वही, ३८ । नीतिवाक्यामृत में राजनीति 18
SR No.090306
Book TitleNitivakyamrut me Rajniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM L Sharma
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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