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अन्य शत्रुओं से पराजित हो सके, तेजशून्य, अजितेन्द्रिय, अभिमानी, व्यसनासक, मर्यादा से अधिक धन व्यय करने वाला चिरकाल पर्यन्त परदेशवासी, दरिद्र, संन्यापराधि सम के साथ वैर-विरोध करने वाला, अनुचित बात को जानने वाला, अपनी बाय को अकेला खाने वाला, स्वच्छन्द प्रकृति वाला, स्वामी के कार्य व आपत्तियों का उपेक्षक, युद्ध महायोद्धाओं का कार्य विघातक और राजहित चिन्ताओं से ईर्ष्यालु (१२, २) " इन दोषों से युक्त पुरुष को राजा सेनाध्यक्ष के पद पर कदापि नियुक्त न करे । ऐसा करने से राज्य की महान् क्षति होती है ।
औत्साहिक सैन्य के प्रति राजा का कर्तव्य
सेना तथा अन्य राजकर्मचारियों के प्रति राजा का व्यवहार अच्छा होना चाहिए अन्यथा वे व्यक्ति उस का हृदय से साथ नहीं देते। राजा अपने मोलसैन्य का अपमान न कर के उसे धन-मानादि द्वारा अनुरक्त कर के प्रसन्न रखे। इस के साथ ही उत्साहो सैन्य शत्रु पर आक्रमणार्थं अपनी ओर प्रविष्ट हुई अन्य राजकीय सेना को भी घन व मान देकर प्रसन्न रखे (२२, १४) |
मौल सेना की महत्ता के कारण हो उस के साथ राजा के लिए अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया गया है। आचार्य सोमदेव लिखते हैं कि विजिगीषु का मौल सैन्य आपत्ति काल में भी उस का साथ देता है और दण्डित किये जाने पर भी द्रोह नहीं करता एवं शत्रुओं द्वारा अपने पक्ष में नहीं मिलाया जा सकता । अतः विजिगीषु उसे धन मानादि देकर सदा सन्तुष्ट रखे (२२, १५) ।
सैनिक लोग धन को अपेक्षा सम्मान को अधिक श्रेष्ठ समझते हैं। यदि राजा अपनी सेना का मान करता है तथा उस के श्रेष्ठ कार्यों की प्रशंसा करता है वो बह बड़े उत्साह के साथ देश की रक्षा करने को तत्पर रहती है। यह सम्मान जन में राजभक्ति तथा देशभक्ति की भावना को जन्म देता है । सोमदेव का कथन है कि जिस प्रकार राजा द्वारा दिया गया सम्मान सैनिकों की युद्ध के लिए प्रेरित करता है उस प्रकार दिया गया धन प्रेरित नहीं करता (२२, १६) । अर्थात् सैनिकों के लिए बन देने की अपेक्षा सम्मान देना कहीं अधिक श्रेष्ठकर है ।
सेना के राजा के विरुद्ध होने के कारण
सेना हो राजा का बल है और उसी को सहायता से वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में समर्थ होता है। उस के लिए सेना की अनुकूलता बहूत आवश्यक है। कभी-कभी राजा की असावधानी तथा उस की भूलों के कारण सेना राजा के विरुख भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में राजा का अस्तित्व ही अतः बुद्धिमान् राजा कभी ऐसी स्थिति को आने नहीं दे । सोमदेव ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि किन कारणों से सेना राजा के विरुद्ध हो जाती है । इस में ये
समाप्त हो जाता है ।
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सेना अथवा थल
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