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________________ भारत का प्राचीन इतिहास अनेक युद्धों से परिपूर्ण है । सीमा विस्तार की भावना इस देश के राज्यों में अति प्राचीन काल से ही देखी गयी है। चक्रवर्ती शासन का परम्परा में इन युद्धों में कुछ कमी अवश्य आयी, किन्तु फिर भी युद्धों की समाप्ति पूर्ण रूप से नहीं हुई। भारतीय जनता एवं आचार्यों ने चक्रवर्ती शासन को मान्यता प्रवाम की। राज्यों को सुदृढ़ता के लिए दुर्ग निर्माण का महत्त्व कम नहीं हुआ। प्राचीन काल में राज्य की सुरक्षा के लिए दुर्ग एक महत्त्वपूर्ण राज्यांग समझा जाता था, इस कारण उ लो पानीति में सरग के गोंपा प्रमुख अंग माना। जिस राज्य में जितने अषिक दुर्ग होते थे वह उतना ही अधिक शक्तिशाली समझा जाता था ! जन-पान की सुरक्षा की दृष्टि से तथा मुद्ध में सहायक होमे के कारण दुर्गों का महत्त्व इस देश में बहुत काल तक रहा। राज्यशास्त्र प्रणेताओं ने अपने ग्रन्थों में उस की महत्ता के कारण ही उस का वर्णन किया है। शुक्राचार्य तथा आचार्य कौटिल्य ने दुर्गरचना की विशिष्ट विधियों एवं श्रेष्ठ दुर्ग के लक्षणों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश माला है।' आचार्य सोमदेवसूरि मे भी दुर्ग को राज्यांगों में बहुत महत्व प्रदान किया है इसी कारण उन्होंने नीतिवाक्यामृत में दुर्ग-समुद्देश की भी रचना की है। दुर्ग की ध्याख्या करते हुए सोमदेव लिखते हैं कि जिस के समीप जाने से शत्रु सुख प्राप्त करते है अथवा जहाँ दुष्टों के उद्योग द्वारा उत्पन्न होने वाली विजिगीषु की आपत्तियों ना हो जाती है उसे दुर्ग कहते हैं ( २०, १)। सारांश यह है कि जब विजिगीषु अपने राज्य में शत्रु द्वारा आक्रमण होने के अयोग्य बिकट स्पान-दुर्ग, खाई आदि बनवाता है, तब शत्रु लोग उन विकट स्थानों से दुःखी होते हैं, श्योंकि जन के आक्रमण वहाँ सफल नहीं हो पाते । शुक्राचार्य दुर्ग की परिभाषा करते हुए लिखते है कि जिस को प्राप्त करने में शत्रुओं को भीषण कष्ट सहन करने पड़ें और जो संकट काल में अपने स्वामी की रक्षा करता है, उसे दुर्ग कहते है। १. शुक०४,६ को अर्घ २,३-५ । २. एक०. नी विचा, पृ० १६८ | यस्य दुर्गस्य संप्रातः शत्रवो तुःखमानुयुः । लामिन रक्षयस्यैव व्यसने दुर्गमेव तत । नीतिवाक्यामृत में राजनीति
SR No.090306
Book TitleNitivakyamrut me Rajniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM L Sharma
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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