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________________ मन्त्र के अंग आचार्य सोमदेव मे भी कौटिल्य की भौति मन्त्र के पास अंग बतलाये है-१. कार्य के आरम्म करने का उपाय, २. पुरुष और द्रव्य सम्पत्ति, ३. देश और काल का विभाग, ४. विभिपात ( प्रतिकार ) और ५. कार्यसिद्धि ।' १. कार्य प्रारम्भ करने के उपाय - जैसे, अपने राष्ट्र को शत्रुओं से सुरक्षित रखने के लिए उस में स्वाई, परकोट और दुर्ग आदि का निर्माण करने के साधनों पर विचार करना और दूसरे देश में शत्रुभूत राजा के यहाँ सन्धि ब विग्रह आदि के उद्देश्य से गुप्तचर व दूत भेजना आदि कार्यों के साधनों पर विचार करना मन्त्र का प्रथम अंग है। २. पुरुष का द्रव्य सम्पत्ति-भह नुरुष अमुक काय करने में निपुण है, यह जानकर उसे उस कार्य में नियुक्त करमा तथा दश्य सम्पत्ति, इतने धन से अमुक कार्य सिद्ध होगा। यह क्रमशः पुरुषसम्पत्' और द्रव्यसम्पत् नाम का दूसरा मन्त्र का अंग है । अथवा स्वदेश-परवेश की अपेक्षा से प्रत्येक के दो भेद हो जाते हैं। ३. देश और काल-अमुक कार्य करने में अमुक देश या अमुक काल अनुकूल एवं अमुक देश और काल प्रतिकूल है इस का विचार करना मन्त्र का तीसरा अंग है। अथवा अपने देश ( दुर्ग आदि के निर्माण के लिए जनपद के बीच का देश ) और काल ( भिक्ष, दुर्भिक्ष तथा वर्षा एवं दूसरे देश में सन्धि आदि करने पर कोई उपजाऊ प्रदेश और काल ) आक्रमण करने या न करने का समय कहलाता है | इन का विभाग करना यह देश-कालरिभाग नाम का तीसरा अंग कहलाता है। ४. विनिपात-प्रतिकार-आयी हई विपत्ति के विनाश का उपाय-चिन्तन करना, जैसे अपने दुर्ग वादि पर आने वाले अथवा आये हुए विघ्नों का प्रतिकार करना यह मन्त्र का विमिपाव-प्रतिकार नामक चौथा अंग है। ५. कार्यसिद्धि-उन्नति, अवनति और समवस्था यह तीन प्रकार को कार्यसिद्धि है । जिन सामादि उपायों से विजिगीषु राजा अपनी उन्नति, शत्रु की अवनति या दोनों की समवस्था प्राप्त हो यह कार्यसिद्धि नामक पाच अंग है। विजिगोषु राजा को समस्त मन्त्रिमण्डल से अबदा एक या दो मन्त्रियों से उक्त पंचांगमन्त्र का विचार कर तदनुकूल कार्य करना चाहिए । मन्त्रणा के अयोग्य व्यक्ति मन्त्रणा प्रत्येक घ्यक्ति से नहीं की जा सकती। इस सम्बन्ध में प्राचार्य सोमदेव लिखते हैं कि जो बपक्ति धार्मिक कर्मकाण्ड का विज्ञान नहीं है उस को जिस प्रकार १. लौ० अ० १,१५ तथा नीतिया०, १०. २५ । २. कौ० अर्थ १, १४ मन्त्रिपरिषद्
SR No.090306
Book TitleNitivakyamrut me Rajniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM L Sharma
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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