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________________ भीति वाक्यामृतम् M दो वस्तुएँ मुख्य हैं । एक तो अपने शिष्ट स्वजनों के साथ प्रेम से वार्तालाप करना-सुख दुःख की पूछना और दूसरा पान भक्षण करना ।।50 ।। बैठक के विषय में : चिरायोर्ध्वजानु जड़यति रसवाहिनीनसाः ।।61॥ अन्वयार्थ :- (चिरायः) अधिक समय (ऊर्ध्वजानुः) घुटने के बल बैठना (रसवाहिनी:) रक्त प्रवाहिनी (नसा) नसों को (जडयति) निष्काम करता है 161 ।। विशेषार्थ :- जो मानव अधिक समय तक ऊँचे धुटनों के बल-आश्रय से बैठा रहता है उसकी रस धारण करने वाली नसें शक्तिहीन हो जाती हैं ।161।। शोक से हानि : सततमुपविष्टो जठरमाध्मापयति प्रतिपद्यते च तुन्दिलतां वाचि, मनसि, शरीरे च ।।62 ॥ अन्वयार्थ :- (सततम्) निरन्तर (उपविष्टः) बैठने से (जठरम्) जठराग्नि (आध्मापयति) मन्द होती है (च) और (तुन्दिलताम) तोंद (प्रतिपद्यते) निकलती है (च) और (वाचि) वचन में (मनसि) मन में (शरीरे) शरीर में भी विकृति होती है ।62 ॥ विशेषार्थ :- अधिक समय तक निरन्तर बैठे रहने से मनुष्य की पाचनशक्ति-जठराग्नि मन्द हो जाती है। शरीर स्थूल-मोटे पेट वाला, आवाज खुरखुरी-मोटी और मानसिक शक्ति स्थूल-विचार शून्य हो जाती है 162 ॥ शोक कर एक ही जगह बैठकर नहीं रहना चाहिए । इसी का समर्थन :-- अतिमात्र खेदः पुरुषमकालेऽपिजरया योजयति ।।63 ।। अन्वयार्थ :- (अतिमात्रम्) अत्यधिक (खेदः) शोक (पुरुषम्) मनुष्य को (अकाले) असमय (अपि) भी (जरया) वृद्धता से (योजयति) जोड़ देता है ।। विशेषार्थ :- अत्यधिक शोक, चिन्ता या खेद करने वाला मनुष्य जवानी में ही बुद्धिहीन होता हुआ वृद्ध हो जाता है । अभिप्राय यह है कि अधिक शोकाकुल रहने से मनुष्य की जवानी-यौवन में ही शरीर, इन्द्रियाँ व । मन, बुद्धि शक्तिहीन हो जाती हैं । अतः पुरुषों को अधिक शोक नहीं करना चाहिए 163 ॥ शरीर गृह की शोभा : नादेवं देहप्रासादं कुर्यात् ।।64॥ (देहप्रासादम्) शरीर रूपी महल को (अदेवम्) ईश्वररहित (न) नहीं (कुर्यात्) करे ।। विशेषार्थ :- मनुष्य का कर्तव्य है शरीर में प्राण रहने पर्यन्त भगवद्भक्ति को नहीं छोड़ना चाहिए । अर्थात् हृदय में भगवान-वीतरागप्रभु का ध्यान करना चाहिए ।164 ।। 465
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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