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________________ नीति वाक्यामृतम् वापी कूपादिकं यच्च मार्गं वा यदि वाचलम् 1 नैकोऽवगाहयेत् पुत्रः पितृमातृ विवर्जितः | 11 || अर्थ :- माता पिता से रहित अकेले पुत्र को कूप- वावड़ी, सरोवरादि जलाशयों पर मार्ग में व पर्वत पर नहीं जाना चाहिए 1123 गुरु, गुरुपत्नि, गुरुपुत्र व सहपाठी के प्रति छात्र का कर्तव्य : पितरमिव गुरुमुपचरेत् ॥24॥ गुरुपत्नी जननीमिव पश्येत् ॥25॥ गुरुमिव गुरुपुत्रं पश्येत् ||26|| स ब्रह्मचारिणि बान्धव इव स्त्रियेत् ॥27॥ अन्वयार्थ :(पितरम्) पिता (इव) समान (गुरुम् ) गुरु के प्रति (उपचरेत्) आचरण करे । (गुरुपत्नीम् ) गुरु की पत्नी को ( जननीम् ) माता ( इव) समान ( पश्येत् ) देखें (गुरुम् ) गुरु (इव) समान ( गुरुपुत्रम्) गुरुपुत्र को (पश्येत् ) देखे 1126 | ( स ब्रह्मचारिणि) अपने साथ छात्र ब्रह्मचारियों में (बान्धव ) परिवार (इव) समान (स्त्रियेत् ) स्नेह प्रीति करे 1127 | गुरु की पिता के समान सेवा करना शिष्य का कर्तव्य है 1124 ॥ भारद्वाज ने कहा है : " योऽन्तेवासी पितुर्यद्वद् गुरोभक्तिं समाचरेत् 1 स विद्यां प्राप्य निःशेषां लोकद्वयमवाप्नुयात् ॥1॥ अर्थ :- जो छात्र - विद्यार्थी गुरु की पिता के समान सेवा सुश्रुषा करता है, वह समस्त विद्याएँ प्राप्त कर उभय लोक में ऐहिक और पारलौकिक सुखों को प्राप्त करता है ॥24 ॥ गुरुपत्ल को माता के समान विद्यार्थी पूज्य समझे ॥ 25 ॥ याज्ञवल्क्य का कथन : गुरुभार्यां च यः पश्येद् दृष्ट्वा चात्र सकामया I स शिष्यो नरकं याति न च विद्यामवाप्नुयात् ।। अर्थ :- जो विद्यार्थी अपनी गुरु-पत्नि को भोगाकांक्षा की दृष्टि से देखता है वह नरकगामी होता है उसे विद्यालाभ भी नहीं होता ||25|| विद्यार्थी अपने गुरु के समान ही गुरुपुत्र को पूज्य दृष्टि से देखे 1126 | वादरायण विद्वान ने भी कहा यथागुरुं तथा पुत्रं यः शिष्यः समुपाचरेत् । तस्य तुष्टो गुरुः कृत्स्नां निजां विद्यां निवेदयेत् ॥1॥ अर्थ जो विद्यार्थी अपने गुरुभाई की गुरु के समान पूजा, प्रतिष्ठा करता है उसे गुरु प्रसन्न - सन्तुष्ट होकर समस्त विद्याएँ प्रदान करता है ।। अर्थात् पढ़ाता है ।।26 ।। 304
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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